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उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों से पहले यूथ फेस्टिवल पर स्पोर्ट्स साइकोलॉजी का जोर: मानसिक शक्ति से बदल सकती है खेल की दिशा

Sports Psychology's emphasis on Youth Festival before National Games in Uttarakhand: Mental strength can change the direction of sports

देहरादून: आगामी 38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों के मद्देनजर उत्तराखंड के परेड ग्राउंड में युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित यूथ फेस्टिवल में इस बार स्पोर्ट्स साइंस को खास महत्व दिया गया है। इस आयोजन में विशेषज्ञों ने खेल में मानसिक मजबूती की भूमिका पर चर्चा की। विशेष सत्र में साइकोलॉजिस्ट प्रीति भांडुरगे ने खिलाड़ियों को बताया कि किस प्रकार मानसिक स्थिति खेल के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

साइकोलॉजिस्ट प्रीति भांडुरगे ने कहा कि खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति खेल के परिणाम पर गहरा असर डालती है। अक्सर खेल को शारीरिक क्षमताओं से तोला जाता है, लेकिन जीत हासिल करने के लिए मानसिक शक्ति भी उतनी ही आवश्यक होती है। प्रीति ने बताया कि हमारे समाज में हार का सामना करने के तरीके पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। जबकि खिलाड़ियों को यह भी सिखाने की जरूरत है कि कैसे वे हार के बाद अपनी मानसिक स्थिति को संभाल सकें।

स्पोर्ट्स साइकोलॉजी के बारे में बताते हुए प्रीति ने कहा कि खिलाड़ियों को खेल से पहले होने वाले तनाव, चिंता और नींद की समस्याओं से निपटने में स्पोर्ट्स साइकोलॉजी सहायक साबित होती है। खेल के बाद परिणामों से निपटने का तरीका भी इस साइंस के तहत समझा और सिखाया जाता है, ताकि खिलाड़ी मानसिक रूप से अधिक स्थिर रहें।

उत्तराखंड के खिलाड़ियों के मानसिक दृढ़ता पर चर्चा करते हुए प्रीति ने बताया कि खासतौर पर दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले खिलाड़ियों में जीतने का जुनून और इच्छा शक्ति अधिक होती है। कठिन परिस्थितियों से आने वाले इन खिलाड़ियों में असाधारण मानसिक और शारीरिक ताकत देखी गई है, जो उनके खेल को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होती है।

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