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भारत में अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की दस्तक: नई शिक्षा नीति से उच्च शिक्षा को मिला वैश्विक विस्तार

International universities enter India: New education policy gives global expansion to higher education

NEP 2020 के तहत विदेशी यूनिवर्सिटी कैंपस की स्थापना को हरी झंडी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विदेशी विश्वविद्यालयों को देश में अपने कैंपस खोलने की अनुमति दी है। यह फैसला भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव साबित हो रहा है, जिससे देश के युवाओं को वैश्विक स्तर की शिक्षा अपने ही देश में प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्प्टन की शुरुआत

इस दिशा में सबसे पहले कदम बढ़ाया है यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्प्टन ने, जो वर्ष 2025 में दिल्ली में अपना पहला भारतीय कैंपस शुरू करने जा रही है। यह पहल उन छात्रों के लिए खास तौर पर उपयोगी होगी जो विदेश जाकर पढ़ने का सपना देखते हैं लेकिन आर्थिक या पारिवारिक कारणों से बाहर नहीं जा पाते।

GIFT सिटी बनी वैश्विक शिक्षा हब

गुजरात की GIFT सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक नया आकर्षण बन चुकी है। टैक्स में छूट और निवेश के अनुकूल माहौल ने इस क्षेत्र को एक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा हब के रूप में स्थापित कर दिया है। डीकिन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ वूलोंगॉन्ग जैसी नामी यूनिवर्सिटियों ने यहां पहले ही अपने कैंपस शुरू कर दिए हैं, और अन्य कई संस्थान भी रुचि दिखा रहे हैं।

भारत की बढ़ती शिक्षा मांग बना विदेशी संस्थानों का कारण

भारत में उच्च शिक्षा के लिए मांग निरंतर बढ़ रही है। देश का लक्ष्य है कि वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio – GER) को 40% तक ले जाया जाए। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए विदेशी संस्थानों की भागीदारी न केवल आवश्यक है बल्कि लाभकारी भी है।

भारतीय छात्रों को मिलेगा ग्लोबल एजुकेशन का लाभ

इन विदेशी विश्वविद्यालयों की भारत में उपस्थिति से छात्रों को अपने देश में रहकर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की डिग्री और स्किल्स हासिल करने का मौका मिलेगा। साथ ही यह कदम भारत को वैश्विक शिक्षा मानचित्र पर मजबूत स्थिति में पहुंचाने में मदद करेगा।

NEP 2020 से खुला वैश्विक शिक्षा का मार्ग

नई शिक्षा नीति के तहत भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की भागीदारी न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएगी, बल्कि देश के युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह भारत को एक वैश्विक शिक्षा गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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