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भारत का वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ता सफर: अवसरों और बाधाओं का संतुलन

India's journey towards global leadership: Balancing opportunities and constraints

बदलती विश्व व्यवस्था में भारत की नई भूमिका

नई दिल्ली, 26 अप्रैल 2025:
आज जब दुनिया एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर अग्रसर है, भारत वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। अमेरिकी प्रभाव के एकाधिकार के बाद अब चीन, रूस, और यूरोपीय संघ जैसे कई देशों का उदय हुआ है। इस परिवर्तन के बीच भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक प्रगति के दम पर वैश्विक ताकत बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं।

विदेश नीति में संतुलन और अवसरों की खोज

भारत ने अपनी विदेश नीति में उल्लेखनीय संतुलन बनाए रखा है। अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत करते हुए, रूस और ईरान जैसे पारंपरिक सहयोगियों के साथ भी संबंधों को बनाए रखा है। ब्रिक्स, एससीओ और क्वॉड जैसे मंचों पर सक्रिय सहभागिता भारत की रणनीतिक चतुराई का प्रमाण है। भारत अब वैश्विक मुद्दों पर भी निर्णायक भूमिका निभा रहा है, जैसे जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य संकट।

आर्थिक और तकनीकी मोर्चे पर सफलता

भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। स्टार्टअप इकोसिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्वच्छ ऊर्जा’ अभियान भारत को भविष्य की वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं।

मौजूद चुनौतियाँ

चुनौतियों की बात करें तो भारत को सीमा विवादों, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के साथ, का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा आंतरिक सामाजिक असमानता, शिक्षा सुधार और स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। यदि इन मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, तो विकास की गति में बाधा आ सकती है।

भारत का भविष्य सुनहरा

भारत आज एक ऐसे मोड़ पर है जहाँ उसके पास वैश्विक नेता बनने का अवसर है। आर्थिक मजबूती, रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता और रणनीतिक कूटनीति से भारत विश्व में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है। यदि सही दिशा में प्रयास किए गए, तो आने वाले दशकों में भारत एक सुपरपावर के रूप में उभर सकता है।

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