उत्तराखंड की घनी वन संपदा एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। यहां के साल, शीशम और सागौन जैसी मजबूत और टिकाऊ इमारती लकड़ियों की मांग देश के कोने-कोने में बढ़ रही है। खासकर दक्षिण भारत के राज्यों से इन लकड़ियों की बड़े पैमाने पर मांग आ रही है, जिससे राज्य को आर्थिक रूप से लाभ मिल रहा है।
हल्द्वानी के डिपो बने लकड़ी व्यापार का केंद्र
हल्द्वानी में उत्तराखंड वन विकास निगम के डिपो इमारती लकड़ी के प्रमुख केंद्र बन गए हैं। यहां बड़ी मात्रा में तैयार की गई लकड़ी का स्टॉक है, जिसे देशभर के व्यापारी खरीदने आ रहे हैं। यह क्षेत्र अब प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहा है।
इतिहास फिर दोहरा रहा है खुद को
ब्रिटिश शासन और द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी उत्तराखंड की लकड़ी की बहुत मांग थी। उस दौर में भी प्रदेश की लकड़ियों को रेलवे स्लीपर, युद्ध सामग्री और अन्य निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किया गया था। अब एक बार फिर वही मांग आधुनिक निर्माण और फर्नीचर उद्योग में देखने को मिल रही है।
दक्षिण भारतीय राज्यों से मिल रही सबसे ज्यादा मांग
कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से उत्तराखंड की इमारती लकड़ी के लिए सबसे ज्यादा मांग सामने आई है। इन राज्यों में खासकर फर्नीचर निर्माण और इंटीरियर डिज़ाइनिंग के लिए यहां की लकड़ी को पसंद किया जा रहा है।
ऑनलाइन प्रक्रिया ने बढ़ाई पारदर्शिता और कारोबार
वन निगम की ओर से अब लकड़ी की खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया गया है। इससे ई-टेंडरिंग के माध्यम से देशभर के व्यापारी और ठेकेदार आसानी से भाग ले पा रहे हैं। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि कारोबार भी तेज हुआ है।
वन निगम को मिला करोड़ों का राजस्व
वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तराखंड वन विकास निगम को 191 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। यह आंकड़ा 2024-25 में बढ़कर 201 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस बढ़ती आय से यह साफ है कि राज्य की इमारती लकड़ी की मांग लगातार तेज हो रही है।
फर्नीचर उद्योग में पहली पसंद बन रही है उत्तराखंड की लकड़ी
उत्तराखंड की साल, शीशम और सागौन की लकड़ियां अपनी मजबूती, सुंदरता और टिकाऊपन के कारण देश के फर्नीचर निर्माताओं की पहली पसंद बन चुकी हैं। इनके इस्तेमाल से तैयार फर्नीचर लंबे समय तक चलता है और आकर्षक भी दिखता है।
वन संरक्षण की दिशा में भी उठाए जा रहे कदम
राज्य सरकार और वन विभाग अब टिकाऊ वानिकी की दिशा में गंभीरता से काम कर रहे हैं। लगातार वृक्षारोपण, पुनर्वनन और वन क्षेत्र संरक्षण की योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि इमारती लकड़ी की आपूर्ति बनी रहे और पारिस्थितिकी संतुलन भी बना रहे।
उत्तराखंड बन सकता है इमारती लकड़ी का राष्ट्रीय केंद्र
बढ़ती मांग, पारदर्शी प्रक्रियाएं और सरकार के प्रयासों के चलते उत्तराखंड भविष्य में इमारती लकड़ी का राष्ट्रीय केंद्र बन सकता है। यह न केवल राज्य की आर्थिकी को मजबूत करेगा, बल्कि हरेला उत्तराखंड को सतत विकास की दिशा में भी अग्रसर करेगा।