देहरादून, 14 जून – उत्तराखंड सरकार ने अभिभावकों को बड़ी राहत देते हुए शैक्षिक सत्र 2025-26 से कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम आयु सीमा को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब तक बच्चों को पहली कक्षा में दाखिले के लिए 1 अप्रैल तक छह वर्ष की आयु पूरी करना अनिवार्य था, लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 1 जुलाई कर दिया है। इससे उन बच्चों को लाभ मिलेगा जो 1 अप्रैल तक छह साल के नहीं हो पाते थे और जिनका दाखिला टल जाता था।
शिक्षा विभाग ने इसके लिए “उत्तराखंड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011” में संशोधन कर अधिसूचना जारी कर दी है। यह संशोधित नियमावली आगामी शैक्षिक सत्र से प्रभावी मानी जाएगी। अब यदि कोई बच्चा 1 जुलाई तक छह वर्ष का हो जाता है, तो उसे कक्षा एक में प्रवेश दिया जाएगा।
तीन महीने की छूट से लाखों अभिभावकों को राहत
पहले के नियम के अनुसार, 1 अप्रैल तक छह वर्ष की आयु पूरी नहीं करने वाले बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश नहीं मिलता था, जिससे उन्हें एक वर्ष और प्री-प्राइमरी शिक्षा में बिताना पड़ता था। अब नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी के ऐसे हजारों छात्रों को तीन महीने की यह छूट राहत देगी।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला शिक्षा के अधिकार को और व्यापक बनाएगा और बच्चों के अकादमिक विकास में बाधा नहीं बनेगा। कई बार बच्चों का जन्म अप्रैल, मई या जून में होने के कारण अभिभावकों को मजबूरी में एक और साल इंतजार करना पड़ता था, जिससे उनकी शिक्षा में अनावश्यक देरी होती थी।
नियमावली में तकनीकी बदलाव
पहले नियमावली में “महीने” और “शैक्षिक सत्र प्रारंभ” जैसे शब्दों का उल्लेख था, जिससे भ्रम की स्थिति बनती थी। अब संशोधन के बाद “शैक्षिक सत्र प्रारंभ” की जगह स्पष्ट रूप से “1 जुलाई” की तिथि निर्धारित कर दी गई है। इससे स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों दोनों के लिए प्रवेश की शर्तें और अधिक स्पष्ट हो गई हैं।
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय शिक्षा को अधिक समावेशी और लचीला बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे न केवल बच्चों को समय पर औपचारिक शिक्षा में प्रवेश मिलेगा, बल्कि अभिभावकों की चिंताओं का भी समाधान होगा। यह बदलाव राज्य की शिक्षा नीति को व्यावहारिक बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।