उत्तराखंड: उत्तराखंड के अनिल वर्मा ने 155 बार रक्तदान कर एक अनोखी मिसाल कायम की है। उनके इस अनुकरणीय योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय रक्तवीर अवॉर्ड-2024 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान ओडिशा के सम्बलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीबी मिश्रा ने प्रदान किया।
राष्ट्रीय कार्यक्रम में सम्मान
7-8 दिसंबर को ओडिशा के बुरला में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला और सम्मान समारोह में अनिल वर्मा को यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड ‘त्याग’ संस्था द्वारा प्रदान किया गया।
- उन्हें शील्ड ऑफ अवॉर्ड, प्रशस्ति पत्र, बैज ऑफ ऑनर और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
- कार्यक्रम में देश के 22 राज्यों और नेपाल से 300 से अधिक स्वैच्छिक रक्तदाता, प्रेरक और ब्लड बैंक अधिकारी शामिल हुए।
अनिल वर्मा का योगदान
श्री अनिल वर्मा ने कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता और चेयरपर्सन के रूप में ‘उत्तराखंड में स्वैच्छिक रक्तदान की भूमिका’ विषय पर विचार रखे।
- उन्होंने उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियों, जैसे बढ़ते ब्लड बैंक, ब्लड वैन, स्टोरेज सेंटर और सेपरेशन यूनिट्स का विशेष उल्लेख किया।
- श्री वर्मा ने थैलेसीमिया, कैंसर, रोड एक्सीडेंट जैसे मरीजों के लिए स्वैच्छिक रक्तदान की जरूरत पर जोर दिया।
रक्तदान में मिसाल बने वर्मा
श्री वर्मा ने 155 बार रक्तदान कर समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया है। उनके इस योगदान को सभी प्रतिभागियों ने सराहा और युवाओं को उनसे प्रेरणा लेने की अपील की।
‘त्याग’ संस्था की पहल
कार्यक्रम का आयोजन पिछले 40 वर्षों से रक्तदान क्षेत्र में सक्रिय संस्था ‘त्याग’ द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना और रक्तदाताओं को सम्मानित करना है।
उत्तराखंड का गौरव
अनिल वर्मा की इस उपलब्धि से उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। यह सम्मान न केवल राज्य के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह युवाओं को रक्तदान की ओर प्रेरित करने का एक आदर्श उदाहरण भी है।
“स्वैच्छिक रक्तदान से जीवन बचाने का उनका संकल्प समाज के लिए प्रेरणादायक है।”