चमोली (उत्तराखंड): पंचकेदारों में शामिल श्री रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 18 मई 2025 को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाएंगे। इस बार की यात्रा को पर्यावरण के अनुकूल और स्थानीय सहभागिता के साथ संचालित किया जाएगा। यात्रा की तैयारी में प्रशासन, मंदिर समिति और केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से ठोस व्यवस्थाएं की गई हैं।
प्रतिदिन सीमित संख्या में मिलेगी दर्शन की अनुमति
रुद्रनाथ यात्रा को नियंत्रित रखने के लिए इस बार प्रतिदिन केवल 140 यात्रियों को यात्रा की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिसे केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की वेबसाइट https://kedarnathwildlife-uk-gov-in पर कराया जा सकता है। यह व्यवस्था क्षेत्र की पारिस्थितिकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है।
स्थानीय ग्रामीणों को मिलेगा सीधा लाभ
यात्रा से स्थानीय लोगों को जोड़ते हुए वन प्रभाग ने विभिन्न गांवों में पारिस्थितिकी विकास समितियां (EDC) गठित की हैं। ये समितियां सगर, गंगोलगांव, ग्वाड़, सिरोली और कुजौं गांवों में सक्रिय रहेंगी। इन्हें यात्रा मार्ग पर 18 टेंट स्थापित करने की अनुमति दी गई है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
यात्रा मार्ग पर आधुनिक और स्वच्छ सुविधाएं
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यात्रा मार्ग पर बायो-टॉयलेट्स लगाए जा रहे हैं और सफाई व्यवस्था के लिए स्थानीय कर्मचारियों की तैनाती की जा रही है। प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित किया गया है और यात्रियों को पर्यावरण-संवेदनशील आचरण की सलाह दी गई है।
सुरक्षा के लिए लागू होंगे सख्त दिशा-निर्देश
प्रशासन ने घोड़े, खच्चर, पोर्टर और गाइड के संचालन के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया है। यात्रियों को स्वास्थ्य परीक्षण कराना, स्थानीय गाइड के साथ यात्रा करना और तय मार्ग से न भटकने की हिदायत दी गई है। नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई होगी।
आपात स्थिति में तुरंत सहायता के लिए हेल्पलाइन जारी
यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर 9412030556, 8449884279, 9927159265, 9634569601 जारी किए हैं।
पंचकेदारों में चौथा स्थान रखने वाला रुद्रनाथ मंदिर
रुद्रनाथ मंदिर, जो समुद्रतल से लगभग 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, पंचकेदारों में चौथे स्थान पर आता है। इस वर्ष की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक अनुभव के साथ-साथ स्थानीय विकास और पारिस्थितिकीय संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण भी बनेगी।