बजरंग सेतु: कांच का पुल बनने की ओर
ऋषिकेश: विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के पास निर्माणाधीन कांच का पुल (बजरंग सेतु) जून 2025 तक पूरा हो जाएगा। निर्माण कार्यदायी संस्था ने दावा किया है कि अब तक 65% काम पूरा हो चुका है। इस पुल के बनने के बाद भारत में ग्लास ब्रिज का अनुभव लेने के लिए लोगों को विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी।
पुल की खासियत: 132.3 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा
बजरंग सेतु की कुल लंबाई 132.3 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर होगी। इस पुल पर दोनों ओर कांच का फर्श होगा, जहां लोग पैदल चल सकेंगे। केंद्र सरकार ने 27 अक्टूबर 2021 को इस परियोजना के लिए 56 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। लोक निर्माण विभाग के तहत इसे बनाने का जिम्मा नरेंद्रनगर डिवीजन को सौंपा गया था।
निर्माण में देरी, समय सीमा बार-बार बढ़ाई गई
निर्माण कार्य जनवरी 2022 में शुरू हुआ और इसे 4 जुलाई 2023 तक पूरा होना था। हालांकि, तय समय सीमा में काम पूरा नहीं हो पाया। लोक निर्माण विभाग ने कार्यदायी संस्था को 16 महीने का एक्सटेंशन दिया, जो अब खत्म होने के करीब है। कार्यदायी संस्था का कहना है कि अगले 6 महीनों में काम पूरा कर लिया जाएगा।
स्थानीय व्यापारियों पर पुल बंद होने का असर
2019 में लक्ष्मण झूला को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया, जिसके बाद व्यापार पर गहरा असर पड़ा। पुल के दोनों छोर पर व्यापार करने वाले स्थानीय दुकानदारों का काम ठप हो गया। व्यापारी दिनेश पुंडीर और यशपाल कंडारी ने बताया कि पुल बंद होने से उनका कामकाज ठप हो गया है और उन्होंने कई बार प्रदर्शन भी किया है।
लोक निर्माण विभाग और सांसदों की निगरानी
लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज पांडे ने 16 दिसंबर 2023 को निर्माण स्थल का निरीक्षण किया था और जुलाई 2024 तक काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने भी अगस्त 2023 में निरीक्षण कर निर्माण में तेजी लाने का आग्रह किया था।
लक्ष्मण झूला का स्थान लेगा बजरंग सेतु
लक्ष्मण झूला बंद होने के बाद से स्थानीय और पर्यटक नए पुल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यदि कार्यदायी संस्था का दावा सही साबित हुआ, तो 2025 में यह पुल न केवल स्थानीय जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
कांच का पुल देखने के लिए अब ऋषिकेश आएं
बजरंग सेतु का निर्माण पूरा होने पर यह भारत का सबसे अनोखा कांच का पुल होगा। यह पुल पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक नया आकर्षण बनेगा और ऋषिकेश की पहचान को और समृद्ध करेगा।