जमीन से 3000 फीट नीचे बसे अनोखे गांव, दिन में भी शाम जैसा नजारा
छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के पातालकोट क्षेत्र के 12 गांव, जिनमें जड़मादल, हर्रा कछार, सेहरा पचगोल और सुखा भंडारमऊ शामिल हैं, अपनी अनूठी भूगोलिक बनावट के कारण सुर्खियों में हैं। ये गांव चारों ओर पहाड़ों से घिरे हैं, जहां सूरज की रोशनी मुश्किल से पहुंचती है। इन गांवों में मात्र 5 घंटे ही धूप दिखाई देती है, और तीन गांव तो ऐसे हैं जहां सूरज की किरणें कभी नहीं पहुंच पातीं।
3200 की जनसंख्या, प्रकृति के साथ सामंजस्य
यहां निवास करने वाली भारिया जनजाति के लोग बेहद साधारण और संयमित जीवन जीते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध पातालकोट में जंगल ही इनका मुख्य सहारा है। मधुमक्खियों का शहद, मोटा अनाज, और जंगल से मिलने वाली जड़ी-बूटियां इनके जीवन का आधार हैं।
जड़ी-बूटियों का खजाना, कोविड से अछूता क्षेत्र
पातालकोट की जड़ी-बूटियां दुनिया भर में मशहूर हैं। यहां की शुद्ध और प्राकृतिक जीवनशैली का असर ऐसा है कि कोविड महामारी के दौरान 12 गांवों में संक्रमण का नामोनिशान तक नहीं था।
सरकार का संरक्षण: भारिया जनजाति को हैबिटेट राइट्स
पातालकोट की अद्वितीय जैव विविधता को देखते हुए इसे बायोडायवर्सिटी क्षेत्र घोषित किया गया है। तत्कालीन सरकार ने यहां की भारिया जनजाति को हैबिटेट राइट्स दिए, जिससे जल, जंगल, और जमीन पर उनका अधिकार सुरक्षित हो गया। यह क्षेत्र भारत का पहला ऐसा स्थान बन गया जहां जनजातीय वर्ग को अपने प्राकृतिक संसाधनों पर पूरी स्वायत्तता दी गई।
एडवेंचर फेस्टिवल: पातालकोट की खूबसूरती का आनंद लें
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पातालकोट में 28 दिसंबर से 2 जनवरी तक एडवेंचर फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा। इसमें हॉट एयर बैलून, पैराग्लाइडिंग और अन्य रोमांचक गतिविधियां शामिल होंगी। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा कि इस फेस्टिवल का उद्देश्य पातालकोट की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और जनजातीय संस्कृति को दुनिया तक पहुंचाना है।
पातालकोट: अंधेरों में बसी रोशनी की अनोखी दुनिया
पातालकोट न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए, बल्कि सांस्कृतिक और एडवेंचर टूरिज्म के लिए भी एक अनमोल गहना है। यह क्षेत्र अपनी अनूठी पहचान के साथ विकास और संरक्षण का शानदार उदाहरण पेश कर रहा है।