नीलम की संघर्षपूर्ण यात्रा:
नीलम की जिंदगी में बड़ा बदलाव उस समय आया जब उनके पति की अचानक मौत हो गई। पति, जो परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे, के जाने के बाद नीलम को अकेले तीन बच्चों की परवरिश करनी पड़ी। इस कठिन दौर में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और परिवार का पेट पालने के लिए विभिन्न तरीकों से काम किया। पहले उन्होंने घर-घर जाकर झाड़ू-पोछा और खाना बनाने का काम किया। लेकिन इन कामों से मिली आमदनी उनकी और उनके बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
नीलम ने कई जनप्रतिनिधियों और स्थानीय अधिकारियों से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई। हालांकि, उन्हें उम्मीद के अनुसार कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अपने दम पर एक खोखा लगाकर चाय की दुकान खोली। लेकिन कुछ लोगों की शिकायत के चलते उनकी यह दुकान भी बंद करवा दी गई, जिससे नीलम को फिर से परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ई-रिक्शा से नए सिरे से शुरुआत:
सभी मुश्किलों के बावजूद, नीलम ने हार नहीं मानी और अपनी आजीविका के लिए एक नया रास्ता चुना। उन्होंने 300 रुपये प्रति दिन के किराए पर एक ई-रिक्शा लेना शुरू किया। अब वह रुड़की की सड़कों पर रोजाना ई-रिक्शा चलाकर 600-700 रुपये कमा रही हैं। इसमें से 300 रुपये वह ई-रिक्शा का किराया चुकाती हैं और बाकी पैसों से अपने बच्चों की जरूरतें पूरी करती हैं।
परिवार की जिम्मेदारी:
नीलम के तीन बच्चे हैं—दो बेटे और एक बेटी। वह इन बच्चों की पढ़ाई और परवरिश का पूरा जिम्मा खुद उठा रही हैं। उनकी इच्छा है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर बेहतर भविष्य बना सकें। लेकिन वर्तमान में उन्हें अपनी आमदनी से बच्चों की जरूरतें पूरी करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
स्थायी मदद की जरूरत:
नीलम की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें प्रतिदिन ई-रिक्शा के लिए किराया देना पड़ता है, जो उनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा ले जाता है। उनकी इच्छा है कि उन्हें किसी तरह से आर्थिक मदद मिले, जिससे वह अपना खुद का ई-रिक्शा खरीद सकें। इससे न केवल उनकी रोजमर्रा की आमदनी में बढ़ोतरी होगी, बल्कि वह अपने बच्चों की बेहतर देखभाल और शिक्षा के लिए भी अधिक ध्यान दे पाएंगी।
समाज के लिए प्रेरणा:
नीलम की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों न आएं, अगर व्यक्ति में दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत करने की क्षमता हो, तो वह हर चुनौती का सामना कर सकता है। नीलम न केवल अपने परिवार के लिए एक जिम्मेदार मां हैं, बल्कि वह समाज के लिए भी एक प्रेरणा हैं। उनका संघर्ष यह दिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अगर हार न मानें, तो सफलता की राह जरूर मिलती है।
नीलम की भविष्य की उम्मीदें:
नीलम की सबसे बड़ी उम्मीद है कि किसी तरह उन्हें स्थायी सहायता मिल सके ताकि वह अपने खुद के ई-रिक्शा खरीद सकें। वह चाहती हैं कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और एक अच्छा भविष्य बनाएं। उनकी कहानी न केवल संघर्ष की, बल्कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की भी मिसाल है।
नीलम का यह संघर्ष बताता है कि यदि उन्हें और उनके जैसे लोगों को सही समय पर मदद मिले, तो वे अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठ सकते हैं और समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।