देहरादून, 11 जून,2025 – उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ राज्य के वकीलों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। मंगलवार को देहरादून में हजारों अधिवक्ताओं ने काले कोट पहनकर सिविल कोर्ट परिसर से सचिवालय तक मार्च निकाला और सरकार की इस नीति के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। वकीलों का आरोप है कि UCC संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है और यह देश की विविध सांस्कृतिक एवं धार्मिक पहचान को नुकसान पहुंचाएगा।
विरोध प्रदर्शन में दिखी अधिवक्ताओं की एकजुटता
प्रदर्शनकारी वकीलों ने “UCC नहीं चलेगा”, “संविधान बचाओ” और “धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करो” जैसे नारों के साथ सरकार पर निशाना साधा। इस आंदोलन में दून बार एसोसिएशन, उत्तराखंड अधिवक्ता परिषद और मुस्लिम अधिवक्ता मंच सहित कई प्रमुख संगठनों के सदस्य शामिल हुए। वकीलों का कहना है कि भारत जैसे बहुलतावादी देश में सभी समुदायों पर एक जैसा कानून लागू करना अनुचित है।
मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन
प्रदर्शन के बाद वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें UCC प्रस्ताव को वापस लेने और इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा करने की मांग की गई है। वकीलों ने कहा कि सरकार को समाज की विविधता का सम्मान करते हुए कोई भी निर्णय लेना चाहिए, न कि जल्दबाजी में एक कानून सभी पर थोपना चाहिए।
कानून विशेषज्ञों ने जताई चिंता
प्रदर्शन में शामिल कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं और संवैधानिक विशेषज्ञों ने कहा कि UCC का क्रियान्वयन समाज में तनाव पैदा कर सकता है। उन्होंने आगाह किया कि इससे अल्पसंख्यक समुदायों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है। उनका तर्क है कि भारतीय संविधान विभिन्न धर्मों को अपने पर्सनल लॉ बनाए रखने की स्वतंत्रता देता है, जिसे UCC के जरिए छीना नहीं जाना चाहिए।
सरकार को दी गई चेतावनी
हालांकि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन वकीलों ने साफ कर दिया कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं सुना, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर देंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विरोध किसी एक धर्म के पक्ष में नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों और बहुलतावादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए है।
जनसमर्थन मिल रहा आंदोलन को
इस विरोध प्रदर्शन को कई सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों का भी समर्थन मिला। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि UCC जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बिना व्यापक विचार-विमर्श के कोई भी निर्णय लेना उचित नहीं होगा। देहरादून का यह प्रदर्शन साबित करता है कि UCC को लेकर सरकार को अभी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
उत्तराखंड में UCC के खिलाफ वकीलों का यह विरोध प्रदर्शन राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाती है और क्या वह विभिन्न समुदायों की आशंकाओं को दूर करने में सफल हो पाएगी।