दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के प्रमुख, राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। यह याचिका भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई का इंतजार
27 सितंबर को, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है, तो दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता। कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा को निर्देश दिया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले से जुड़ी सुनवाई का स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसके साथ ही, कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की प्रति भी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि दो अलग-अलग हाईकोर्ट में एक ही मामले पर समानांतर सुनवाई न हो।
पिछली सुनवाई का घटनाक्रम
इससे पहले, 20 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस याचिका को दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में असमर्थ रहे कि इसमें कोई संवैधानिक मुद्दा जुड़ा है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह जनहित का मामला है, जिसके बाद इसे जनहित याचिकाओं की सुनवाई करने वाली बेंच के पास ट्रांसफर किया गया।
सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप
सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद दलीलें पेश करते हुए कहा था कि उन्होंने 2019 में गृह मंत्रालय को इस मामले में जानकारी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि “बैकओप्स लिमिटेड” नामक कंपनी, जिसका रजिस्ट्रेशन 2003 में ब्रिटेन में हुआ था, के निदेशक मंडल में राहुल गांधी का नाम शामिल था। स्वामी ने दावा किया कि 2005 और 2006 में दाखिल की गई कंपनी की आयकर रिटर्न में राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की बताई गई थी। इसके अलावा, 2009 में जब कंपनी ने खुद को भंग करने के लिए अर्जी दी, तब भी राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता का उल्लेख किया गया था।
संवैधानिक और कानूनी मुद्दे
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन है। अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो वह भारतीय नागरिक नहीं रह सकता। गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2019 में राहुल गांधी को पत्र लिखकर इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन अब तक कोई स्पष्टता नहीं आई है। सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि इस देरी के चलते अदालत को गृह मंत्रालय को इस मामले में फैसला लेने का निर्देश देना चाहिए।
अब यह देखना होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई में इस याचिका पर क्या फैसला आता है और क्या यह मामला किसी ठोस निष्कर्ष तक पहुंचता है।