नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में दिवालिया और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत बंद पड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज के पुनरुद्धार की योजना को खारिज कर दिया और कंपनी के परिसमापन का आदेश दिया। यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें जेट एयरवेज की समाधान योजना को मंजूरी दी गई थी और कंपनी के स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित करने का रास्ता साफ किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को ‘गलत’ करार देते हुए कहा कि एनसीएलएटी ने साक्ष्यों को गुमराह किया और समाधान योजना में गंभीर उल्लंघन हुए हैं।
पीठ ने कहा कि जेकेसी ने समाधान योजना की शर्तों का पालन नहीं किया और इसे लागू करना संभव नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में लेनदारों की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि समाधान योजना के उल्लंघन को देखते हुए, अब कंपनी को परिसमापन की प्रक्रिया में भेजना आवश्यक है। इसके साथ ही ऋणदाताओं को 150 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने की अनुमति भी दी गई।
2021 में जेट एयरवेज के पुनरुद्धार के लिए जेकेसी को सफल बोलीदाता के रूप में चुना गया था, लेकिन योजना में उठे विवादों के चलते मामला कोर्ट में पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, जेट एयरवेज के लेनदारों को अब कंपनी के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मिल गई है।
जेट एयरवेज को 2019 में गंभीर वित्तीय संकट के कारण बंद कर दिया गया था, और इसके सबसे बड़े ऋणदाता एसबीआई ने दिवालिया प्रक्रिया शुरू की थी। मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मामले की सुनवाई की, जिससे सीआईआरपी (कॉर्पोरेट इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस) की शुरुआत हुई थी।
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, जेट एयरवेज के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू होनी तय है, और यह भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।