उत्तराखंड में आगामी निकाय चुनावों को लेकर ओबीसी आरक्षण में बड़ा बदलाव किया गया है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिशों के बाद राज्य की 14 नगर पालिका परिषद और 23 नगर पंचायतों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए एक भी वार्ड सदस्य सीट आरक्षित नहीं की गई है। यह बदलाव ओबीसी समुदाय की जनसंख्या के आधार पर किया गया है, जो राज्य के निकाय चुनावों में पहले लागू 14% आरक्षण से एकदम अलग है।
आरक्षण की नई व्यवस्था
आयोग ने प्रत्येक निकाय में ओबीसी की आबादी के अनुपात में आरक्षण तय किया है। इस प्रक्रिया में जिन क्षेत्रों में ओबीसी की आबादी कम पाई गई, वहां आरक्षित सीटें समाप्त कर दी गईं। वहीं, जिन क्षेत्रों में आबादी अधिक है, वहां आरक्षण जारी रहेगा। उदाहरण के तौर पर, नगर पालिका मंगलौर (जिला हरिद्वार) में ओबीसी की 67.73% आबादी के चलते 20 में से 10 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित की गई हैं। इसके अलावा, जसपुर (जिला ऊधमसिंह नगर) में 63.52% आबादी के आधार पर 9 सीटें ओबीसी को दी गई हैं।
14 पालिकाओं और 23 पंचायतों में नहीं होगी आरक्षित सीट
हालांकि, राज्य की 14 नगर पालिकाओं और 23 नगर पंचायतों में, जहां ओबीसी की जनसंख्या कम है, वहां इस बार कोई भी सीट ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं की गई। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में क्षेत्रों को ओबीसी आरक्षण से बाहर रखा गया है।
Body elections: Reconsideration of OBC reservation in Uttarakhand-nagar panchayat
Body elections: Reconsideration of OBC reservation in Uttarakhand-nagar nigam
Body elections: Reconsideration of OBC reservation in Uttarakhand-nagar palika
पहले लागू था 14% आरक्षण
गौरतलब है कि 2018 के निकाय चुनावों में उत्तराखंड के सभी निगम, पालिका परिषद और नगर पंचायतों में ओबीसी के लिए 14% सीटें आरक्षित थीं। लेकिन इस बार, आयोग की नई सिफारिशों के चलते यह आरक्षण आबादी के अनुपात के आधार पर निर्धारित किया गया है।
सिफारिशों को लेकर चर्चा
राज्य सरकार और आयोग का मानना है कि यह नई नीति अधिक पारदर्शी और जनसंख्या आधारित है। हालांकि, इस बदलाव पर कुछ क्षेत्रों में सवाल भी उठाए जा रहे हैं, खासतौर पर उन जगहों पर जहां ओबीसी समुदाय को अब कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।
यह नई व्यवस्था राज्य की राजनीति और ओबीसी समुदाय के प्रभाव पर किस तरह का असर डालेगी, यह आगामी निकाय चुनावों के परिणाम के बाद स्पष्ट होगा।