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उत्तराखंड में तीर्थाटन को मिलेगी नई दिशा, सरकार बनाएगी ‘धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद’

Pilgrimage will get a new direction in Uttarakhand, the government will form 'Religious and Pilgrimage Council'

देहरादून – उत्तराखंड सरकार ने राज्य में धार्मिक पर्यटन को अधिक सुनियोजित, सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में ‘उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद’ के गठन को मंजूरी दी गई है। यह परिषद तीर्थ यात्राओं और धार्मिक आयोजनों के संचालन, प्रबंधन और निगरानी के लिए समर्पित निकाय के रूप में कार्य करेगी।

धार्मिक आस्था और पर्यटन का संगम

उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में जाना जाता है और यहां चारधाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री), पूर्णागिरि, हेमकुंड साहिब, आदि कैलाश जैसी यात्राएं होती हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं, जिससे धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। राज्य सरकार ने इस बढ़ते तीर्थाटन को एक नई दिशा देने का निर्णय लिया है।

तीन स्तरीय संरचना में कार्य करेगी परिषद

परिषद को तीन स्तरों पर गठित किया जाएगा।

  • राज्य स्तरीय परिषद, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री करेंगे, नीति निर्धारण और दिशा-निर्देश तय करेगी।
  • संचालन व मूल्यांकन इकाई, जिसकी अगुवाई मुख्य सचिव करेंगे, योजनाओं की समीक्षा और मानकों की निगरानी करेगी।
  • मंडल स्तरीय इकाइयां, गढ़वाल और कुमाऊं में मंडलायुक्तों की अध्यक्षता में योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करेंगी।

यात्रियों की सुविधाओं में होगा सुधार

परिषद तीर्थ यात्रियों को स्वच्छता, चिकित्सा, जल, शौचालय, विश्राम स्थल, मार्गदर्शन, आपदा प्रबंधन और यातायात नियंत्रण जैसी सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर देगी। साथ ही धार्मिक स्थलों की गरिमा और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के प्रयास किए जाएंगे।

अलग बजट और अधिकार से मिलेगी मजबूती

सरकार इस परिषद को अलग बजट और प्रशासनिक अधिकार भी देगी ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की बाधा न आए। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार और राजस्व भी बढ़ेगा।

आदर्श तीर्थराज्य बनने की ओर कदम

उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद सरकार की एक दूरदर्शी योजना है, जो तीर्थाटन को संगठित, सुरक्षित और सतत बनाएगी। इसके माध्यम से उत्तराखंड को आदर्श तीर्थराज्य के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी।

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