तेलंगाना के शंकर राव कोंडापनेनी को तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के इब्राहिमपट्टनम निवासी शंकर राव कोंडापनेनी ने अपनी अनोखी सिक्का संग्रहण कला के लिए तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किए। द्विधात्विक सिक्के और मुद्रण त्रुटियों वाले दुर्लभ सिक्कों के प्रति उनके जुनून ने उन्हें देश और दुनिया में ख्याति दिलाई।
बचपन के जुनून ने बदल दी जिंदगी
कोंडापनेनी, जो आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मुन्नालुरू गांव में जन्मे थे, का बचपन से ही सिक्के संग्रह करने का शौक रहा। उनके इस शौक को जन्मस्थान अमरावती की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने और भी प्रेरित किया।
मुद्रण त्रुटियों वाले सिक्कों की खोज
कोंडापनेनी की दिलचस्पी तब बढ़ी जब उन्होंने एक दुर्लभ सिक्का देखा, जिसमें हिंदी में ‘भारत’ की जगह ‘मराठ’ छपा था। इस त्रुटि ने उन्हें मुद्रण त्रुटियों वाले सिक्के संग्रहित करने के लिए प्रेरित किया। पिछले 30 सालों में, उन्होंने “सिक्के बचाओ, विरासत बचाओ” के नारे के साथ इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से हजारों सिक्के एकत्र किए।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की कहानी
- पहला रिकॉर्ड: 17 अगस्त, 2023 को मुद्रण त्रुटियों वाले 1,578 सिक्के एकत्र करके हासिल किया।
- दूसरा रिकॉर्ड: 14 जनवरी, 2024 को 3,526 विशेष अवसर वाले सिक्के, जो विभिन्न देशों और राज्यों द्वारा जारी किए गए थे।
- तीसरा रिकॉर्ड: 5 मार्च, 2024 को मुद्रण त्रुटियों वाले 7,369 सिक्कों का संग्रह।
कोविड-19 लॉकडाउन बना मील का पत्थर
लॉकडाउन के दौरान, कोंडापनेनी ने अपने संग्रह को व्यवस्थित करने और एक विस्तृत दस्तावेजी एल्बम बनाने का काम किया। इसमें मौर्य, कुषाण, गुप्त साम्राज्य, और पुर्तगाली व ब्रिटिश युग के सिक्कों को शामिल किया गया।
विरासत संरक्षित करने का उद्देश्य
कोंडापनेनी का मानना है कि सिक्के इतिहास और संस्कृति का एक अमूल्य जरिया हैं। उनकी यह अनोखी पहल न केवल विरासत को संरक्षित करती है बल्कि भावी पीढ़ियों को इतिहास से जोड़ने का काम करती है।
“सिक्के बचाओ – विरासत बचाओ” का संदेश
कोंडापनेनी का संदेश स्पष्ट है: सिक्के सिर्फ धातु के टुकड़े नहीं, बल्कि हमारे इतिहास की कहानियां हैं। उनका यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों को इतिहास और संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित करता है।