मुख्य आरोपी जयपुर से गिरफ्तार
देहरादून साइबर पुलिस ने डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम के मुख्य आरोपी नीरज भट्ट (19) को राजस्थान के जयपुर से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने देहरादून निवासी व्यापारी से ₹2.47 करोड़ की ठगी की थी। आरोपी के पास से ठगी में उपयोग किए गए बैंक खाते की जानकारी और मोबाइल हैंडसेट बरामद हुआ है।
कैसे हुई ठगी?
- फर्जी पुलिस बनकर वीडियो कॉल:
- पीड़ित को मुंबई साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल किया गया।
- आधार और मोबाइल नंबर से अपराध का झूठा आरोप लगाकर डराया गया।
- मनी लॉन्ड्रिंग केस, गिरफ्तारी वारंट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का डर दिखाया।
- डिजिटल हाउस अरेस्ट:
- पीड़ित को 9 दिनों तक डिजिटल रूप से घर में बंधक बनाया गया।
- हर 3 घंटे में व्हाट्सएप पर उपस्थिती का संदेश भेजने को मजबूर किया गया।
- फंड जांच के नाम पर सभी बैंक खातों की जानकारी हासिल की।
- डर का फायदा उठाकर ठगी:
- आरोपी ने अवैध लेनदेन का हवाला देकर पीड़ित को अपने खातों में ₹2.47 करोड़ जमा करने पर मजबूर किया।
- पैसे लौटाने का वादा करके और धनराशि की मांग जारी रखी।
जांच और कार्रवाई
- साइबर पुलिस ने बैंकों, सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों, मेटा और गूगल से डेटा प्राप्त कर मुख्य आरोपी को चिन्हित किया।
- आरोपी नीरज भट्ट के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में भी धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज पाई गई हैं।
डिजिटल हाउस अरेस्ट: साइबर ठगी का खतरनाक तरीका
- क्या है डिजिटल हाउस अरेस्ट?
- ठग खुद को पुलिस, सीबीआई या अन्य एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं।
- अपराध के झूठे आरोप लगाकर शिकार को मानसिक और डिजिटल रूप से अपने नियंत्रण में रखते हैं।
- डर के कारण पीड़ित उनकी हर बात मानने को मजबूर हो जाते हैं।
साइबर ठगी से बचने के उपाय
- बैंक डिटेल, एटीएम पिन, CVV नंबर, OTP किसी से साझा न करें।
- इंटरनेट पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करने से बचें।
- फ्री ऑफर या डिस्काउंट लिंक पर क्लिक न करें।
- पासवर्ड नियमित अंतराल पर बदलें।
- पब्लिक वाई-फाई का उपयोग करते समय लेन-देन से बचें।
- ठगी का शिकार होने पर तुरंत बैंक और साइबर पुलिस को सूचित करें।
ठगी होने पर क्या करें?
- 3 दिन के भीतर बैंक को सूचित करें।
- एफआईआर दर्ज करवाकर उसकी कॉपी बैंक को दें।
- खाते, कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग को तुरंत बंद कराएं।
- बैंक ठगी की जांच कर पैसों की भरपाई कर सकता है, लेकिन यह कुछ शर्तों पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष: यह मामला साइबर ठगी के बढ़ते खतरों की गंभीरता को दर्शाता है। डिजिटल जागरूकता और सतर्कता ही इस तरह की धोखाधड़ी से बचने का एकमात्र उपाय है।