नई दिल्ली: भारत की 1.4 अरब (143 करोड़) की विशाल आबादी के बावजूद, केवल 13-14 करोड़ लोग ही ऐसे हैं जो आवश्यक जरूरतों के अलावा अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करते हैं। यह खुलासा वेंचर कैपिटल फर्म Blume Ventures की हालिया रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, यह वर्ग भारतीय स्टार्टअप्स और ब्रांड्स के लिए मुख्य उपभोक्ता समूह बनाता है।
भारतीय बाजार उपभोक्ता खर्च पर निर्भर
रिपोर्ट बताती है कि भारत की जीडीपी मुख्य रूप से उपभोक्ता खर्च पर निर्भर करती है, लेकिन “कंज्यूमिंग क्लास” की संख्या अभी भी सीमित है। इस वर्ग में वे लोग आते हैं, जो न सिर्फ जरूरतों पर खर्च करते हैं बल्कि लक्जरी उत्पादों, टेक्नोलॉजी, यात्रा, मनोरंजन और अन्य गैर-जरूरी चीजों पर भी निवेश करते हैं।
30 करोड़ लोग “उभरते उपभोक्ता”, खर्च में दिखती सतर्कता
इसके अलावा, करीब 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जो “उभरते” या “आकांक्षी” उपभोक्ताओं की श्रेणी में आते हैं। वे धीरे-धीरे अधिक खर्च कर रहे हैं, खासकर डिजिटल पेमेंट्स और ऑनलाइन खरीदारी की सुविधा मिलने के बाद। हालांकि, ये लोग अभी भी खरीदारी में सतर्क रहते हैं और गैर-जरूरी चीजों पर अधिक खर्च करने से बचते हैं। रिपोर्ट में इन्हें “भारी उपभोक्ता लेकिन अनिच्छुक भुगतानकर्ता” बताया गया है।
कम खर्च के पीछे क्या कारण हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में आय असमानता, उच्च बचत प्रवृत्ति, वित्तीय असुरक्षा और महंगाई के कारण अधिकांश लोग गैर-जरूरी खर्चों से बचते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कम डिस्पोजेबल इनकम और आर्थिक अनिश्चितता भी उपभोक्ता खर्च को सीमित करती है।
इसके विपरीत, विकसित देशों में अधिकांश लोग अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा यात्रा, टेक्नोलॉजी और लक्जरी उत्पादों पर खर्च करते हैं। भारत में यह प्रवृत्ति मुख्य रूप से शहरी और उच्च-मध्यम वर्ग तक ही सीमित है।
स्टार्टअप्स और कंपनियों के लिए क्या संकेत मिलते हैं?
इस रिपोर्ट से भारतीय स्टार्टअप्स और ब्रांड्स को अपने लक्षित उपभोक्ताओं को बेहतर समझने में मदद मिलेगी। उन्हें चाहिए कि वे “कंज्यूमिंग क्लास” और “उभरते उपभोक्ताओं” को ध्यान में रखते हुए अपनी सेवाओं और उत्पादों को तैयार करें।
विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल इंडिया, बढ़ती टेक्नोलॉजी पहुंच और बढ़ते शहरीकरण से “उभरते उपभोक्ता” भविष्य में अधिक खर्च करने लगेंगे। यदि कंपनियां इस वर्ग को आकर्षित करने में सफल रहीं, तो यह भारतीय बाजार में बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है।
निष्कर्ष
भारत में 1.4 अरब की आबादी के बावजूद, केवल 13-14 करोड़ लोग ही प्रमुख उपभोक्ता हैं, जबकि अन्य 30 करोड़ लोग धीरे-धीरे उपभोक्ता संस्कृति में शामिल हो रहे हैं। यह आंकड़ा स्टार्टअप्स और ब्रांड्स के लिए महत्वपूर्ण संकेत है कि उन्हें अपनी रणनीतियों को इसी आधार पर विकसित करना होगा। यदि “उभरते उपभोक्ता” अधिक खर्च करने लगते हैं, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।