मुंबई – कारोबारी सप्ताह के दूसरे दिन यानी मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में तेज गिरावट दर्ज की गई। बीएसई सेंसेक्स 872 अंकों की गिरावट के साथ 81,186.44 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 260 अंक फिसलकर 24,683.90 के स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट के पीछे वैश्विक आर्थिक माहौल, अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग में कटौती और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितता प्रमुख वजहें रहीं।
शुरुआत हरे निशान में, लेकिन बिकवाली ने किया हावी
मंगलवार सुबह बाजार की शुरुआत सकारात्मक रही। सेंसेक्स ने 164 अंकों की तेजी के साथ 82,224.31 पर खुलकर अच्छे संकेत दिए थे। वहीं निफ्टी ने भी शुरुआती कारोबार में 0.22% की बढ़त के साथ 24,999.10 का स्तर छू लिया था। लेकिन दोपहर होते-होते बाजार पर बिकवाली का दबाव बढ़ता गया और यह गिरावट दिनभर कायम रही।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी कमजोरी
बाजार की गिरावट केवल सेंसेक्स और निफ्टी तक सीमित नहीं रही। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 1.26% और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.68% की गिरावट देखी गई। इससे स्पष्ट है कि गिरावट का असर व्यापक स्तर पर हुआ है और निवेशकों ने सभी श्रेणियों में मुनाफावसूली की।
क्या हैं गिरावट की बड़ी वजहें?
शेयर बाजार की इस गिरावट के कई कारण हैं। सबसे पहला कारण मूडीज द्वारा अमेरिका की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में की गई कटौती है, जिससे वैश्विक स्तर पर निवेशकों की चिंता बढ़ी है। इसके अलावा भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते पर स्पष्टता की कमी ने भी बाजार को प्रभावित किया है। घरेलू मोर्चे पर नई आर्थिक घोषणाओं की अनुपस्थिति और विदेशी संकेतकों की कमजोरी ने भी बाजार को नीचे खींचा।
निवेशकों के लिए संकेत
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात में निवेशकों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। जब तक वैश्विक और घरेलू स्तर पर स्थिरता नहीं आती, बाजार में उतार-चढ़ाव बने रह सकते हैं। दीर्घकालिक निवेश को प्राथमिकता देने की सलाह दी जा रही है।
निष्कर्ष
मंगलवार की गिरावट ने एक बार फिर यह दिखाया है कि वैश्विक घटनाक्रम का असर भारतीय बाजारों पर कितना गहरा पड़ सकता है। आने वाले दिनों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संकेतों पर पैनी नजर जरूरी होगी।