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देहरादून में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी : पूरा मामला

आधार, पैन और लाइसेंस तक बनवाए फर्जी दस्तावेज़

भारत में अवैध प्रवास हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। सीमा से जुड़े क्षेत्रों में बिना दस्तावेज़ों के प्रवेश करना और फर्जी पहचान के साथ रहना, न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि समाज और प्रशासन के लिए भी चुनौती है। हाल ही में देहरादून (उत्तराखंड) से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहाँ पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक को फर्जी पहचान बनाकर रहने और झोलाछाप डॉक्टर के रूप में काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे—गिरफ्तार व्यक्ति कौन है, वह भारत में कैसे आया, उसने कौन-कौन से फर्जी दस्तावेज़ बनाए, पुलिस ने क्या कार्रवाई की, और इस घटना के व्यापक प्रभाव क्या हो सकते हैं।


1. देहरादून की घटना का संक्षिप्त विवरण

31 अगस्त 2025 (रविवार) को देहरादून पुलिस ने सेलाकुई क्षेत्र से एक 27 वर्षीय बांग्लादेशी नागरिक चयान अधिकारी को गिरफ्तार किया। वह फर्जी नाम “अमित कुमार” से भारत में रह रहा था और झोलाछाप डॉक्टर का काम कर रहा था।

यह गिरफ्तारी पुलिस को मिली एक गुप्त सूचना (टिप-ऑफ) के आधार पर की गई। जांच में सामने आया कि आरोपी लंबे समय से फर्जी पहचान के साथ यहां रह रहा था।


2. चयान अधिकारी कौन है?

गिरफ्तार युवक का नाम चयान अधिकारी है और वह बांग्लादेश के जेसोर ज़िले का रहने वाला है।

  • वह 2017-18 में बांग्लादेशी पासपोर्ट के जरिए कानूनी रूप से भारत आया था।

  • पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले से उसने भारत में प्रवेश किया।

  • इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के संभल जिले पहुँचा, जहाँ उसका चाचा झोलाछाप डॉक्टर का काम करता था।


3. भारत में उसकी एंट्री और शुरुआती जीवन

भारत आने के बाद चयान अधिकारी ने अपने चाचा से झोलाछाप डॉक्टर का काम सीखा।

  • उसके चाचा गाँव में बिना लाइसेंस के इलाज करते थे।

  • वहीं रहते हुए चयान ने यह धंधा सीख लिया और इसी पेशे में लग गया।

  • वर्ष 2022 में चाचा की मृत्यु के बाद उसने अपना बांग्लादेशी पासपोर्ट जला दिया और अवैध रूप से भारत में रहने का रास्ता चुन लिया।


4. पासपोर्ट जलाना और फर्जी पहचान बनाना

अपने असली पहचान को छिपाने के लिए चयान ने:

  • पासपोर्ट जला दिया

  • फर्जी आधार कार्ड बनवाया

  • फर्जी पैन कार्ड तैयार किया

  • ड्राइविंग लाइसेंस भी नकली पहचान “अमित कुमार” के नाम से बनवाया

इन दस्तावेज़ों के सहारे वह खुद को भारतीय नागरिक साबित कर रहा था।


5. देहरादून में “अमित कुमार” के रूप में जीवन

फर्जी पहचान के बाद चयान अधिकारी देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में आकर बस गया।

  • यहाँ उसने खुद को डॉक्टर बताकर झोलाछाप क्लिनिक चला लिया।

  • छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में लोग अक्सर सस्ते इलाज के लिए ऐसे नकली डॉक्टरों पर निर्भर हो जाते हैं।

  • चयान ने इसी स्थिति का फायदा उठाया और वर्षों तक यहाँ रहा।


6. पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अजय सिंह ने बताया कि चयान अधिकारी को गुप्त सूचना के आधार पर पकड़ा गया।

जांच में जब उसकी पहचान की गई तो सामने आया कि वह बांग्लादेश का नागरिक है और भारत में अवैध रूप से रह रहा है।

पुलिस ने उसके पास से मिले फर्जी दस्तावेज़ों को जब्त कर लिया।


7. दर्ज किए गए मामले और धाराएँ

चयान अधिकारी के खिलाफ निम्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है:

  • विदेशी अधिनियम (The Foreigners Act) की धारा 14 – अवैध रूप से ठहरने और दस्तावेज़ न रखने पर सज़ा

  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4), 338, 336(3), और 340(2) – फर्जी पहचान, धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज़ तैयार करने से संबंधित अपराध


8. अवैध प्रवास और फर्जी पहचान का खतरा

यह मामला सिर्फ एक गिरफ्तारी का नहीं है, बल्कि एक गंभीर सुरक्षा चिंता है।

  • फर्जी पहचान बनाकर रहने वाले लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह बड़ा खतरा है।

  • आम जनता के लिए भी यह हानिकारक है, क्योंकि झोलाछाप डॉक्टर अक्सर गलत इलाज और स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं।


9. प्रशासन और नागरिकों की जिम्मेदारी

ऐसे मामलों को रोकने के लिए ज़रूरी है कि:

  • प्रशासन पहचान दस्तावेज़ बनाने की प्रक्रिया को और सख्त करे।

  • स्थानीय लोग भी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पुलिस को दें।

  • कानून व्यवस्था को मजबूत करके ऐसे अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो।


10. नतीजा और भविष्य की चुनौतियाँ

देहरादून में हुई यह गिरफ्तारी एक चेतावनी है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर सतर्क निगरानी ज़रूरी है।

यह मामला दिखाता है कि किस तरह एक विदेशी नागरिक फर्जी पहचान बनाकर सालों तक समाज में घुलमिल सकता है।


निष्कर्ष

चयान अधिकारी की गिरफ्तारी ने न केवल पुलिस की चौकसी को साबित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि अवैध प्रवास और फर्जी दस्तावेज़ों की समस्या गंभीर है। यह घटना प्रशासन और नागरिकों दोनों के लिए एक सबक है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून का पालन और सामाजिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर किसी की भूमिका अहम है।

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