रसोई गैस के दामों में एक बार फिर बढ़ोतरी
नई दिल्ली: देश की आम जनता के लिए एक और झटका – 8 अप्रैल, 2025 की सुबह से रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी लागू की जाएगी। यह बढ़ोतरी घरेलू उपयोग में आने वाले एलपीजी सिलेंडर पर प्रभाव डालेगी। पहले से महंगाई की मार झेल रहे आम उपभोक्ताओं के लिए यह खबर परेशानी बढ़ाने वाली है, खासकर तब जब देश के कई हिस्से भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं और खर्चों में और इज़ाफा हो रहा है।
उज्ज्वला योजना से जुड़े उपभोक्ताओं पर असर
इस बढ़ोतरी का असर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत लाभार्थी महिलाओं पर भी पड़ेगा। यह योजना भारत सरकार द्वारा 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू की गई थी। इसका मकसद गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रहीं महिलाओं को स्वच्छ और सुरक्षित ईंधन उपलब्ध कराना था, ताकि पारंपरिक चूल्हों से निकलने वाले धुएं से उनका स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके।
लेकिन रसोई गैस की लगातार बढ़ती कीमतों ने योजना के प्रभाव को कम किया है। पहले जहां सिलेंडर की कीमतें सब्सिडी के कारण नियंत्रण में थीं, अब लाभार्थियों को भी धीरे-धीरे अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है, जिससे ग्रामीण और गरीब महिलाओं पर वित्तीय दबाव बढ़ता जा रहा है।
बढ़ती महंगाई से घरेलू बजट प्रभावित
रसोई गैस की कीमतों में यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब देशभर में महंगाई की दर पहले ही ऊंचाई पर बनी हुई है। सब्जियों, खाद्य तेल, दूध और अन्य रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में गैस सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी घरेलू बजट को और अस्थिर कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वृद्धि से खास तौर पर निम्न और निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। आमतौर पर ऐसे परिवार महीने में एक या दो सिलेंडर का ही उपयोग कर पाते हैं। अब उन्हें हर महीने 50 रुपये अतिरिक्त देने होंगे, जो साल भर में 600 रुपये का अतिरिक्त बोझ है।
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
रसोई गैस की कीमतों में इस बढ़ोतरी को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि “सरकार उज्ज्वला योजना की सफलता का प्रचार तो करती है, लेकिन लाभार्थियों को राहत देने में नाकाम रही है। एलपीजी की बढ़ती कीमतों ने योजना के लाभ को उलट दिया है।”
वहीं समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार केवल आंकड़ों में योजनाओं को सफल दिखाने में लगी है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है।
सरकार की सफाई और तर्क
सरकार की ओर से अभी तक कोई विस्तृत बयान तो नहीं आया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी और ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ने की वजह से एलपीजी की कीमतों में यह वृद्धि की गई है। अधिकारियों का कहना है कि सरकार उज्ज्वला लाभार्थियों को सब्सिडी के रूप में आंशिक राहत देती रहेगी।
आगे क्या?
रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कोई नई राहत योजना लेकर आएगी या फिर यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा। उज्ज्वला योजना की सफलता तभी टिकाऊ मानी जाएगी जब लाभार्थियों को स्थायी रूप से किफायती दरों पर एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध हो।
देश की आधी आबादी यानी महिलाएं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, आज भी पारंपरिक चूल्हों का इस्तेमाल करने को मजबूर होती हैं। एलपीजी की कीमतें अगर इसी तरह बढ़ती रहीं, तो यह समाजिक कल्याण योजना अपनी मूल भावना को खो सकती है।
8 अप्रैल से लागू हो रही रसोई गैस की कीमतों में यह नई बढ़ोतरी आम जनता पर सीधा असर डालेगी। उज्ज्वला योजना से जुड़े लाखों परिवार इससे प्रभावित होंगे। आने वाले दिनों में सरकार की ओर से राहत या नए सब्सिडी विकल्प की उम्मीद की जा रही है, लेकिन तब तक जनता को इस बढ़ती महंगाई से खुद ही जूझना होगा।