‘जय हो कंडोलिया ठाकुर’ से हुआ शुभारंभ, लोकसंगीत से सराबोर हुआ माहौल
तीन दिवसीय पौड़ी महोत्सव की शुरुआत गढ़वाल की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित गीत ‘जय हो कंडोलिया ठाकुर’ से हुई। यह गीत समां को पूरी तरह से सांस्कृतिक रंग में रंग गया।
गढ़रत्न नेगी और अनिल बिष्ट की प्रस्तुति ने बांधा समां
प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और अनिल बिष्ट की धमाकेदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अनिल बिष्ट के लोकप्रिय गीत ‘ऐजा हे भानुमति’ पर दर्शक झूम उठे, जबकि नेगी जी की भावपूर्ण गायिकी ने हर दिल को छू लिया।
रामलीला मैदान में जुटी भीड़, सांस्कृतिक धरोहर के लिए सराहना
गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से रामलीला मैदान पहुंचे। दर्शकों ने कहा कि इस तरह के महोत्सव पौड़ी की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने में सहायक हैं। नेगी जी ने भी श्रोताओं से मिली ऊर्जा को उत्साहजनक बताया।
प्रियंका मेहर के गीतों ने बढ़ाई महोत्सव की चमक
बीते दिनों प्रियंका मेहर ने अपने हिंदी, गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों जैसे ‘ढाई हाथ धमेली,’ ‘धना-धना रे,’ और ‘बेड़ू पाको बारामासा’ की प्रस्तुति से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
भविष्य में और कार्यक्रम आयोजित करने की योजना
व्यापार सभा के सचिव देवेंद्र रावत ने महोत्सव की सफलता पर खुशी जताई और इसे संभव बनाने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
पौड़ी महोत्सव: लोकसंस्कृति का अनूठा संगम
महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों को गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर का शानदार अनुभव दिया। यह आयोजन राज्य की लोकपरंपरा और विरासत को सहेजने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ।