नई दिल्ली: प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने कहा है कि कुंभ का आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा। 50-60 करोड़ श्रद्धालुओं के यात्रा, भोजन और आवास पर किए गए खर्च से अर्थव्यवस्था में तेज़ी आने की संभावना है।
कुंभ से अर्थव्यवस्था को कैसे मिलेगा फायदा?
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि कुंभ मेले के दौरान होने वाले खर्च से स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। पर्यटन, होटल उद्योग, परिवहन, और छोटे व्यापारियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इसके साथ ही बजट में घोषित पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) भी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
विशेषज्ञों की राय: पर्यटन उद्योग को मिलेगा बड़ा लाभ
अर्थशास्त्री और भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने कहा कि कुंभ मेले का असर विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में महसूस किया जाएगा। हालांकि, इसका सटीक प्रभाव जानने में कुछ समय लग सकता है।
- पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे होटल, ट्रांसपोर्ट और खाने-पीने की सेवाओं में तेजी आएगी।
- स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों की आय में वृद्धि होगी, जिससे वे भविष्य में अधिक खर्च करने में सक्षम होंगे और आर्थिक चक्र को गति मिलेगी।
- मेले से संबंधित बुनियादी ढांचे पर किया गया निवेश स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देगा।
जीडीपी और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर सीईए का विश्लेषण
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) ने भारत की जीडीपी वृद्धि और वैश्विक आर्थिक स्थिति पर भी अपनी राय दी। उन्होंने बताया कि वैश्विक मुद्रास्फीति, व्यापार नीतियां, और वित्तीय अस्थिरता का असर भारत पर भी पड़ सकता है, लेकिन ग्रामीण मांग और शहरी खपत में सुधार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी गति बनाए रखने में सक्षम होगी।
- खरीफ उत्पादन मजबूत रहने और रबी बुवाई बेहतर होने से खाद्य मुद्रास्फीति में स्थिरता आएगी।
- सरकार द्वारा कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात पर विशेष ध्यान देने से मध्यम अवधि में आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।
- वित्तीय बाजारों में अस्थिरता के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
शेयर बाजार पर क्या बोले मुख्य आर्थिक सलाहकार?
सीईए नागेश्वरन ने कहा कि हाल ही में भारतीय शेयर बाजार में आई अस्थिरता वैश्विक घटनाक्रमों से प्रेरित है।
- जुलाई 2024 से अक्टूबर 2024 तक भारतीय शेयर बाजार में शानदार उछाल देखने को मिली थी।
- हाल के दिनों में, अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई है, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है।
- हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारतीय बाजार मजबूत बना रहेगा।
उन्होंने निवेशकों को यह भी आश्वस्त किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की संभावनाएं बरकरार हैं, और भविष्य में शेयर बाजार फिर से मजबूती पकड़ सकता है।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। इससे पर्यटन, व्यापार, स्थानीय उद्योगों और रोजगार में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक कदमों और मजबूत घरेलू मांग के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि आगे भी जारी रहेगी।