नई दिल्ली – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक बड़े स्टॉक मार्केट घोटाले का खुलासा करते हुए पटेल वेल्थ एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड (PWAPL) और इसके निदेशकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। सेबी ने स्पूफिंग तकनीक के जरिये बाजार में हेराफेरी करने पर कंपनी पर अंतरिम प्रतिबंध लगाते हुए, अवैध रूप से कमाई गई 3.22 करोड़ रुपये की राशि वापस लौटाने का निर्देश दिया है।
क्या है स्पूफिंग और कैसे हुआ घोटाला?
स्पूफिंग एक ऐसी अवैध ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें कोई ट्रेंड बनाने या बाजार में भ्रम फैलाने के लिए बड़ी मात्रा में खरीद या बिक्री के ऑर्डर बिना उन्हें पूरा करने के इरादे से लगाए जाते हैं। इससे शेयर की मांग या आपूर्ति का झूठा संकेत मिलता है, जिससे अन्य निवेशक गुमराह होकर गलत मूल्य पर सौदे करते हैं।
सेबी की जांच में सामने आया कि जनवरी 2022 से जनवरी 2025 के बीच PWAPL और उसके निदेशकों ने जानबूझकर 173 शेयरों में 292 कारोबारी दिनों तक स्पूफिंग का सहारा लिया। वे पहले बड़े पैमाने पर खरीद या बिक्री के आदेश डालते थे और इसके तुरंत बाद विपरीत दिशा में छोटे सौदे करते थे। इससे कीमतों में हेरफेर कर वे फायदा उठाते थे और फिर नकली बड़े ऑर्डर को रद्द कर देते थे।
सेबी का सख्त रुख
हालांकि भारतीय कानून में ‘स्पूफिंग’ शब्द का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, लेकिन सेबी ने इस गतिविधि को धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के तहत PFUTP नियमों की धारा 3 और 4 का उल्लंघन माना है। इस प्रकार की गतिविधियों को मूल्य हेराफेरी का गंभीर अपराध माना जाता है जो बाजार की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित करता है।
सेबी ने PWAPL और इसके चार निदेशकों को अंतरिम रूप से बाजार में किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग गतिविधि से प्रतिबंधित कर दिया है और यह आदेश जांच पूरी होने तक प्रभावी रहेगा।
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि वित्तीय बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सेबी किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सख्त कार्रवाइयों से भविष्य में ऐसे कृत्यों पर अंकुश लगेगा और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा।