दिवाली का त्योहार इस वर्ष देशभर में 1 नवंबर को मनाया जाएगा, जबकि धनतेरस 29 अक्टूबर को होगी। महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति ने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान घर के अंदर और बाहर मिट्टी के दीयों से भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाएगी, ताकि उन्हें प्रसन्न किया जा सके।
हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है। आचार्य दीप कुमार ने बताया कि “हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व है, और उदया तिथि का खास महत्व है। 1 नवंबर को उदया तिथि अमावस्या है, इसलिए इस दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा।”
महाकाल मंदिर का विशेष निर्णय
महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 12 मिनट पर अमावस्या तिथि शुरू होगी, जो 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल में मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था, इसलिए इसी समय उनकी पूजा करने से स्थिरता प्राप्त होती है।
शुभ मुहूर्त की जानकारी
आचार्य दीप कुमार के अनुसार, 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दौरान लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा, निशीथ काल (31 अक्टूबर की रात 11:39 से 12:31 तक) भी पूजा के लिए उपयुक्त माना गया है।
दिवाली का उत्सव
दिवाली के दौरान, देवी लक्ष्मी की पूजा उचित रीति-रिवाजों से की जाती है, जिसमें प्रकाश और सफाई पर जोर दिया जाता है। यह पर्व न केवल आंतरिक सुख-शांति का प्रतीक है, बल्कि यह हर घर में समृद्धि और खुशहाली लाने का भी वचन है।
इस प्रकार, 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन विशेष महत्व रखते हैं, और लोग अपनी आस्था के अनुसार दिवाली का उत्सव मनाएंगे।