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उत्तराखंड में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा फूलदेई पर्व, घोंगा मां की डोली यात्रा रही आकर्षण का केंद्र

Phooldei festival is being celebrated with great enthusiasm in Uttarakhand, Ghonga Maa's Doli Yatra is the center of attraction

श्रीनगर (गढ़वाल): उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक फूलदेई पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। श्रीनगर गढ़वाल में बच्चों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार घर-घर जाकर आंगनों में ताजे फूल डालकर समृद्धि की कामना की। वहीं, लोक आस्था के प्रतीक घोंगा मां की डोली यात्रा निकालकर श्रद्धालुओं ने भव्य आयोजन किया। रंगारंग शोभायात्रा के साथ पूरा नगर झूम उठा, जिससे यह पर्व और भी उल्लासमय बन गया।

पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ आयोजन

रविवार को फूलदेई पर्व की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों और श्रद्धा भाव से की गई। सुबह से ही बच्चे पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे घरों के आंगन में फूल डालने निकले। इस दौरान बच्चे समूहों में “फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार…” लोकगीत गाते नजर आए। इस गीत का अर्थ है—”हम आपके द्वार पर फूल डाल रहे हैं, आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे, भगवान सबकी रक्षा करें, घर में अनाज का भंडार भरा रहे।” इस शुभकामना के बदले घरों के बड़े लोग बच्चों को गुड़, चावल, पैसे या मिठाइयां भेंट करते हैं।

घोंगा मां की डोली यात्रा रही मुख्य आकर्षण

फूलदेई पर्व के अवसर पर घोंगा मां की डोली यात्रा निकाली गई, जिसने पूरे आयोजन में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक रंग भर दिया। यह यात्रा नगर के विभिन्न हिस्सों से गुजरी, जहां भक्तों ने माता के जयकारे लगाए और लोक कलाकारों ने पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। चारों ओर फूलों की खुशबू, लोकगीतों की गूंज और श्रद्धा की झलक दिखाई दी, जिससे श्रीनगर पूरे दिन आस्था और उल्लास से सराबोर रहा।

कौन हैं घोंगा मां?

लोक मान्यताओं के अनुसार, घोंगा मां वनदेवी हैं, जिनकी कृपा से गांवों और नगरों में खुशहाली बनी रहती है। माना जाता है कि फूलदेई पर्व के दौरान उनकी पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और अच्छा फसल चक्र बना रहता है। डोली यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु घोंगा मां की पूजा-अर्चना में शामिल हुए और आशीर्वाद प्राप्त किया।

एक महीने तक चलेगा फूलदेई उत्सव

फूलदेई पर्व केवल एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे एक महीने तक चलने वाला उत्सव है। इस दौरान लोग अपने घरों में फूल डालने की परंपरा निभाएंगे और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देंगे। विभिन्न स्थानों पर इस अवसर पर लोकगीतों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामूहिक आयोजनों का आयोजन भी किया जाएगा।

उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को संजोए रखने वाला यह पर्व नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। फूलदेई के इस पावन उत्सव के माध्यम से न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का सम्मान किया जाता है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को भी संजोया जाता है।

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