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नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के विवादित बयान पर मचा बवाल, विपक्ष ने की सख्त कार्रवाई की मांग

New Delhi: Controversy erupts over controversial statement of Allahabad High Court judge, opposition demands strict action

जज शेखर कुमार यादव के भाषण से विवाद:
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक सम्मेलन में दिए गए बयान ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने समान नागरिक संहिता (UCC) और बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक मुद्दों पर टिप्पणी की, जिसे कई विपक्षी दलों ने आपत्तिजनक बताया है। जस्टिस यादव के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कथित तौर पर अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है।

विपक्ष ने उठाई अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग:
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना से मामले का संज्ञान लेने और जस्टिस यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कुछ संगठनों और नेताओं ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने और यहां तक कि बर्खास्तगी की मांग की है।

जज को हटाने की प्रक्रिया:
भारतीय न्यायपालिका में जज को हटाना एक जटिल और दुर्लभ प्रक्रिया है।

  1. जांच का आदेश: मुख्य न्यायाधीश (CJI) किसी जज के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए एक समिति गठित कर सकते हैं।
  2. महाभियोग प्रस्ताव: संसद के किसी भी सदन में जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
    • लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों या राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षरित नोटिस की आवश्यकता होती है।
  3. जांच समिति: प्रस्ताव स्वीकार होने पर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित होती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, और एक प्रतिष्ठित ज्यूरिस्ट होते हैं।
  4. प्रस्ताव पास करना: यदि जांच समिति दुर्व्यवहार या अयोग्यता की पुष्टि करती है, तो दोनों सदनों में प्रस्ताव पास होना जरूरी है।
  5. राष्ट्रपति की स्वीकृति: प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है, जो जज को हटाने का आदेश जारी करते हैं।

जजों का राजनीतिक जुड़ाव:
भारत में जजों के रिटायर होने के बाद राजनीतिक दलों में शामिल होने की मिसालें हैं।

  • पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को 2020 में राज्यसभा के लिए नामित किया गया।
  • जस्टिस केएस हेगड़े ने इस्तीफा देने के बाद जनता पार्टी से चुनाव लड़ा।
  • जस्टिस विजय बहुगुणा कांग्रेस में शामिल होकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने।

आगे की राह:
जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान ने एक बार फिर न्यायपालिका की निष्पक्षता और उसके राजनीतिक प्रभाव पर बहस को जन्म दिया है। मुख्य न्यायाधीश द्वारा मामले पर संज्ञान लेने या संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावनाओं पर नजरें टिकी हुई हैं।

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