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उत्तराखंड: कीवी की खेती से किसानों की बदल रही तकदीर, पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ रही मांग

Uttarakhand: Kiwi farming is changing the fortunes of farmers, demand is increasing in mountainous areas

श्रीनगर:उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में कीवी की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा बन रही है। बाजार में कीवी फल की बढ़ती मांग ने इस क्षेत्र के किसानों को नई दिशा दी है। रुद्रप्रयाग जिले के स्यारी भरदार निवासी सुखदेव पंत इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिन्होंने 2012 में कीवी की खेती शुरू की और अब इससे अच्छा लाभ कमा रहे हैं।

सफलता की कहानी: सुखदेव पंत

  • शुरुआत और प्रेरणा:
    सुखदेव पंत ने हिमाचल प्रदेश के नौणी विश्वविद्यालय से प्रेरणा लेकर 2012 में अपने खेत में 300 कीवी के पौधे लगाए।
  • पैदावार और पौध बिक्री:
    उनके कुछ पौधे अब पेड़ बनकर फल दे रहे हैं। इस साल उन्होंने 2 क्विंटल कीवी का उत्पादन किया। इसके अलावा, वे 10,000 कीवी पौध तैयार कर किसानों को बेच रहे हैं।

कीवी की खेती के फायदे

  1. उच्च गुणवत्ता वाले फल:
    सुखदेव पंत के बगीचे की कीवी का वजन 85 से 100 ग्राम तक है, जिसे बाजार में 30 रुपये प्रति फल की दर से बेचा जा रहा है।
  2. कम नुकसान:
    जंगली जानवरों से कीवी के पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होता। केवल पक्षियों से बचाव के लिए जाल का उपयोग करना पड़ता है।
  3. आसान रखरखाव:
    समय पर कटाई-छंटाई से पौधे अच्छी गुणवत्ता के फल देते हैं।

कीवी खेती: किसानों के लिए नई उम्मीद

सुखदेव पंत बताते हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों का जलवायु कीवी की खेती के लिए उपयुक्त है। लेकिन इस बागवानी के लिए सही जानकारी और देखभाल जरूरी है। कीवी के बड़े आकार (90-100 ग्राम) के फल बेहतर दाम दिलाते हैं।

कीवी खेती की ओर बढ़ते कदम

प्रदेश में किसान तेजी से कीवी की बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं। इस खेती से न केवल उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि जंगली जानवरों से सुरक्षित होने के कारण इसे आसान और मुनाफे वाली खेती माना जा रहा है।

निष्कर्ष:
कीवी की खेती उत्तराखंड के किसानों के लिए नई संभावनाएं लेकर आई है। सरकार और कृषि विशेषज्ञों के सहयोग से यह खेती पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों की आय बढ़ाने का साधन बन रही है।

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