नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की सभी आवारा कुत्तों को रिहायशी इलाकों से हटाकर शेल्टर होम में भेजने का बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी संगठन या व्यक्ति इस कार्रवाई में बाधा डालता है तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह फैसला न्यायमूर्ति जेबी पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने रैबीज और डॉग बाइट की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए लिया। कोर्ट ने साफ कहा कि यह कदम सार्वजनिक हित में है और इसमें किसी तरह की भावनात्मक अपील नहीं सुनी जाएगी।
कोर्ट के मुख्य निर्देश:
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दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद और गुरुग्राम में तुरंत डॉग शेल्टर बनाए जाएं।
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सभी आवारा कुत्तों (चाहे वे नसबंदीशुदा हों या नहीं) को तुरंत उठाकर शेल्टर में रखा जाए।
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शेल्टर में सीसीटीवी कैमरे, पेशेवर स्टाफ, नसबंदी और टीकाकरण की सुविधा अनिवार्य होगी।
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कोई भी आवारा कुत्ता दोबारा छोड़ा नहीं जाएगा, वरना कड़ी कार्रवाई होगी।
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डॉग बाइट की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू किया जाए।
अडॉप्शन पर रोक
कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को भी आवारा कुत्ता गोद लेने की अनुमति नहीं होगी, क्योंकि कई बार लोग कुत्तों को कुछ दिनों बाद फिर सड़कों पर छोड़ देते हैं।
रैबीज का खतरा
दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से जून 2025 के बीच 49 रैबीज केस और 35,198 डॉग बाइट के मामले सामने आए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में हर साल करीब 21,600 लोग रैबीज से मरते हैं, जो वैश्विक आंकड़े का 36% है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में एक स्थल शिफ्टिंग के लिए तय किया गया था, लेकिन एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स की याचिका के कारण योजना रुकी हुई थी। इस पर कोर्ट ने कहा,
“क्या ये एक्टिविस्ट उन लोगों को वापस ला सकते हैं जो रैबीज के कारण मर गए?”
📌 निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। हालांकि, यह भी देखना होगा कि इसे कितनी जल्दी और सख्ती से लागू किया जाता है।