देहरादून। सचिव, ग्राम्य विकास श्री धीराज गर्ब्याल ने आज सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों (CDO) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना, मुख्यमंत्री सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में सचिव ने विभिन्न योजनाओं की दिशा को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु ठोस कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए।
आजीविका सृजन को मिली सर्वोच्च प्राथमिकता
सचिव ने स्पष्ट किया कि कार्य योजनाओं में आजीविका सृजन गतिविधियों को शीर्ष प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि—
-
प्रत्येक चिन्हित विकासखण्ड में कम से कम एक Mother Poultry Unit की स्थापना की जाए।
-
स्थानीय स्तर पर मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, सामुदायिक पर्यटन एवं प्रसंस्करण गतिविधियों को व्यापक रूप से प्रोत्साहित किया जाए।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण आजीविका के विविधीकरण से पलायन रोकथाम के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
फसल सुरक्षा के लिए चेन-लिंक फेंसिंग पर जोर
ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सचिव ने
चेन-लिंक फेंसिंग प्रस्तावों को कार्य योजनाओं में शामिल करने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही उन्होंने जनपदों में संचालित ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों के विपणन और उनकी नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने पर भी बल दिया।
सीमान्त जनपदों की अलग समीक्षा
बैठक में चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चम्पावत तथा ऊधमसिंह नगर जैसे सीमान्त जिलों की योजनाओं की अलग से समीक्षा की गई।
सचिव ने निर्देश दिए कि—
-
सीमान्त गाँवों के लिए क्लस्टर आधारित ग्राम संतृप्तीकरण कार्ययोजना तैयार की जाए।
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम: हर सीमा गाँव होगा संतृप्त
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत सचिव ने कहा कि प्रत्येक सीमान्त गाँव को निम्न सुविधाओं से 100% संतृप्त किया जाए—
-
सड़क संपर्क
-
4G टेलीकॉम कनेक्टिविटी
-
टीवी कनेक्टिविटी
-
ग्रिड विद्युत आपूर्ति
उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं से सीमा क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने के साथ-साथ आबादी स्थाई रूप से बसाने में मदद मिलेगी।
अधिकारी रहे उपस्थित
बैठक में अपर सचिव ग्राम्य विकास श्रीमती अनुराधा पाल,
संयुक्त विकास आयुक्त श्री संजय कुमार सिंह,
उपायुक्त श्री ए.के. राजपूत,
डॉ. प्रभाकर बेबनी,
तथा SPMU एवं ITDA के अधिकारी मौजूद रहे।
सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।




