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जोशीमठ में राहत कार्यों को मिलेगी गति, केंद्र से मिली 200 करोड़ की पहली किश्त

Relief work will gain momentum in Joshimath, first installment of 200 crores received from the Center

जोशीमठ के लिए राहत की बड़ी सौगात
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में लंबे समय से भूधंसाव की घटनाओं से जनजीवन प्रभावित रहा है। इन परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए पहले चरण में 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि राज्य सरकार को प्रदान कर दी है। यह धनराशि जोशीमठ में आपातकालीन और दीर्घकालिक कार्यों को गति देने के उद्देश्य से स्वीकृत की गई है।

वैज्ञानिक अध्ययन के बाद तय हुआ कार्ययोजना का खाका
जोशीमठ में भूधंसाव की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर सरकार ने विशेषज्ञों की सहायता ली थी। IIT रुड़की, आपदा प्रबंधन विभाग और अन्य वैज्ञानिक एजेंसियों की संयुक्त टीम ने इस क्षेत्र का गहन अध्ययन किया। अध्ययन में भूगर्भीय अस्थिरता, जल निकासी की समस्याएं और भवनों की स्थिति को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। इसी अध्ययन को आधार बनाकर राज्य सरकार ने केंद्र को 293 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की थी।

पहले चरण में मिली 200 करोड़ से अधिक की धनराशि
राज्य सरकार को केंद्र से जो पहली किस्त प्राप्त हुई है, वह 200 करोड़ रुपये से अधिक की है। इस राशि का उपयोग क्षेत्र में विस्थापन, ड्रेनेज सिस्टम के सुधार, सुरक्षा दीवारों के निर्माण और जल निकासी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा। सचिव आपदा प्रबंधन, विनोद सुमन ने बताया कि औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी होते ही यह राशि चमोली जिले को हस्तांतरित कर दी जाएगी।

मानसून से पहले कार्यों को प्राथमिकता
उत्तराखंड में जल्द ही मानसून प्रवेश करने वाला है, जिससे पहले जोशीमठ जैसे संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण और सुरक्षा कार्यों को पूरा करना बेहद ज़रूरी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने जिला प्रशासन को निर्देशित किया है कि वे त्वरित कार्ययोजना बनाएं और धन का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करें। राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भी कुछ धनराशि आंतरिक रूप से जारी की जा चुकी है ताकि प्राथमिक स्तर पर कार्य रुके न रहें।

दूसरे चरण की राशि पर निगाहें
राज्य सरकार को उम्मीद है कि पहले चरण में मिले फंड के उपयोग की प्रगति को देखते हुए केंद्र सरकार जल्द ही अगली किश्त भी जारी करेगी। यह आगे की फंडिंग राज्य की रिपोर्टिंग और कार्यों की प्रगति पर निर्भर करेगी।

जोशीमठ में यह पहल न केवल राहत प्रदान करेगी बल्कि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचाव की दिशा में भी एक ठोस कदम मानी जाएगी।

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