देहरादून: उत्तराखंड में इस वर्ष पर्यावरणीय दृष्टि से परिस्थितियाँ आशाजनक रही हैं। वायुमंडल की गुणवत्ता में सुधार, पीएम स्तर की गिरावट और जंगलों में आग की कम घटनाओं ने राज्य को बेहतर पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रदान किया है। इस सीजन में जहां गर्मी की तपिश ने परेशान किया, वहीं नियमित अंतराल पर हुई बारिश और वातावरण में नमी ने हवा को साफ रखने में अहम भूमिका निभाई।
गर्मी में भी साफ रही हवा
गर्मियों में आमतौर पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) उच्च स्तर पर पहुंच जाता है, जिससे वायुमंडल में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कणों की मात्रा बढ़ जाती है। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग रही। 15 जून तक उत्तराखंड में AQI का स्तर 88 दर्ज किया गया, जो कि “मॉडरेट” श्रेणी में आता है। इसी प्रकार, पीएम 2.5 का स्तर 24 और पीएम 10 का स्तर 70 रहा, जो क्रमशः “अच्छा” और “मध्यम” श्रेणी में आता है।
बारिश बनी वरदान
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार गर्मी के मौसम में भी कई बार बारिश हुई, जिससे वातावरण में मौजूद धूल और प्रदूषण के कण बारिश के साथ जमीन पर बैठ गए। इस कारण वायुमंडल अपेक्षाकृत स्वच्छ बना रहा और लोगों को प्रदूषणजनित बीमारियों से कुछ हद तक राहत मिली। यह स्थिति विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए लाभकारी रही।
वनाग्नि की घटनाओं में आई गिरावट
इस बार पर्यावरण को एक और बड़ी राहत जंगलों में आग की घटनाओं में कमी के रूप में मिली है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 15 जून तक फॉरेस्ट फायर सीजन में मात्र 216 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 234.45 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। इनमें किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई, हालांकि दो लोग घायल हुए। पिछले वर्षों की तुलना में यह संख्या काफी कम है।
ग्लेशियरों को भी मिला संरक्षण
वनाग्नि की घटनाएं न केवल पेड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि इससे निकलने वाला कार्बन ग्लेशियरों तक पहुंचकर उनके तेजी से पिघलने का कारण बनता है। इस साल जंगलों में आग कम लगने से ग्लेशियर भी सुरक्षित रहे, जिससे भविष्य में जल संकट के खतरे को टालने में मदद मिल सकती है।
पर्यावरणीय आंकड़े इस ओर संकेत कर रहे हैं कि उत्तराखंड में इस वर्ष प्राकृतिक तंत्र को राहत मिली है। वायुमंडलीय गुणवत्ता में सुधार, वन क्षेत्र की सुरक्षा और बारिश के चलते मिली स्वच्छता ने राज्य की पारिस्थितिकी को मजबूत आधार प्रदान किया है। ये सकारात्मक संकेत भविष्य में सतत विकास और बेहतर जीवन गुणवत्ता की ओर बढ़ते कदम हैं।