नई दिल्ली: आजकल के अस्वस्थ और असंयमित जीवनशैली के चलते डायबिटीज एक सामान्य बीमारी बन चुकी है, जो अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही। यह हर उम्र और वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। लेकिन अब डायबिटीज के उपचार के लिए एक नई, वैज्ञानिक रूप से सिद्ध विधि सामने आई है – रेड लाइट थेरेपी। हाल ही में जर्नल ऑफ बायो फोटोनिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 670 नैनोमीटर की रेड लाइट से माइटोकॉन्ड्रिया में एनर्जी उत्पादन बढ़ता है, जिससे शरीर में ग्लूकोज की खपत में वृद्धि होती है और ब्लड शुगर लेवल में 27.7% तक कमी आती है।
रेड लाइट थेरेपी के तहत, विशेष प्रकार के लाल एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर की त्वचा के नीचे गहराई तक प्रवेश कर ऊतकों की मरम्मत करता है। इसे आमतौर पर निम्न-स्तरीय लेजर थेरेपी या फोटो बायो मॉड्यूलेशन भी कहा जाता है। यह थेरेपी खासतौर पर डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके अलावा, रेड लाइट थेरेपी से त्वचा में सुधार, गठिया के लक्षणों में राहत, नींद में सुधार, और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार देखा गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल डायबिटीज के इलाज में, बल्कि कैंसर, सूजन, और दर्द जैसी बीमारियों के इलाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
रेड लाइट थेरेपी को घर पर इस्तेमाल होने वाले डिवाइस से लेकर क्लीनिक में इस्तेमाल होने वाले पैनल और बिस्तरों तक के रूप में उपलब्ध है। हालांकि, घर पर इस्तेमाल होने वाले डिवाइस सामान्यतः कम पावरफुल होते हैं, लेकिन फिर भी ये लाभकारी साबित हो सकते हैं।
इस अध्ययन और इसके फायदों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि रेड लाइट थेरेपी डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प बन सकता है।