कॉर्बेट लैंडस्केप से लौटने लगे साइबेरियन मेहमान, जलाशयों में छाई खामोशी
रामनगर – जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे कोसी नदी और अन्य जलाशयों में हर साल आने वाले साइबेरियन पक्षियों की वापसी का दौर शुरू हो गया है। सितंबर और अक्टूबर में जब ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर उत्तराखंड पहुंचते हैं, तो पूरा इलाका चहचहाहट से गूंज उठता है। लेकिन अब मार्च और अप्रैल में जैसे-जैसे गर्मी का असर बढ़ा, इन प्रवासी पक्षियों ने एक-एक कर लौटना शुरू कर दिया है।
खाली हो रहे हैं जलाशय, पक्षी प्रेमियों की निगाहें अगले वर्ष पर
अब कोसी बैराज और आस-पास के जलाशयों में गिनती के ही पक्षी नजर आ रहे हैं। यह नजारा हर वर्ष देखने को मिलता है, जब ये पक्षी अपनी प्रजनन प्रक्रिया पूरी कर अपने मूल स्थान की ओर लौट जाते हैं। स्थानीय पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों की निगाहें अब एक बार फिर आने वाली सर्दियों पर टिकी हैं, जब इन मेहमानों की वापसी होगी।
सर्दियों में बनता है बर्ड वॉचर्स का स्वर्ग
कॉर्बेट नेशनल पार्क और उसके आसपास का क्षेत्र बाघों और हाथियों के साथ-साथ पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों का भी घर है। यहां करीब 500 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखी जाती हैं। सर्दियों में यहां साइबेरियन बत्तख, सुर्खाब (गोल्डन डक), ब्लैक स्टार्ट, पिनटेल और वॉल कीपर जैसे पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
इनमें सुर्खाब खास आकर्षण का केंद्र होता है, जो हमेशा जोड़े में उड़ान भरते हैं। प्रवास के दौरान ये प्रजनन भी करते हैं और बच्चों के उड़ने योग्य हो जाने के बाद ही वापसी की उड़ान भरते हैं।
पर्यटन और शोध के लिए महत्वपूर्ण समय
हर साल इन पक्षियों को देखने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों पर्यटक, फोटोग्राफर और शोधकर्ता कॉर्बेट क्षेत्र का रुख करते हैं। यह समय बर्ड वॉचिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहद खास होता है। पक्षियों की मौजूदगी से क्षेत्रीय पर्यटन को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलता है।
अब जबकि ये प्रवासी पक्षी विदा ले रहे हैं, उनके पीछे एक शांत लेकिन सुंदर स्मृति छोड़ गए हैं। क्षेत्र में अब अगले प्रवास सीजन की प्रतीक्षा है, जब एक बार फिर कोसी किनारे चहचहाहट और रंग-बिरंगे पंखों से भर जाएगा।