उत्तराखंडक्राइम

उत्तराखंड में बढ़ती रिश्वतखोरी पर सवाल, तीन साल में 150 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी गिरफ्तार

Questions raised on increasing bribery in Uttarakhand, more than 150 officers and employees arrested in three years

देहरादून: उत्तराखंड में रिश्वतखोरी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में राज्य में 150 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में विजिलेंस के हत्थे चढ़ चुके हैं। पुलिस, राजस्व, वन, शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाज कल्याण जैसे तमाम विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

विजिलेंस की कार्रवाई में यह साफ हो चुका है कि राज्य में बिना घूस के सामान्य काम करवाना आम लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। हाल के मामलों को देखें तो रिश्वत की रकम ₹2,000 से लेकर ₹1.20 लाख तक रही है, जो यह दिखाता है कि घूसखोरी की बीमारी जड़ तक फैल चुकी है।

एक नजर हालिया मामलों पर

14 मई 2025 को देहरादून के पटेलनगर थाना क्षेत्र में आईएसबीटी चौकी प्रभारी को ₹1 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। वहीं, 13 मई को टिहरी के धनोल्टी में नाजिर, और 10 मई को नैनीताल में वन दरोगा व रक्षक को ₹1.20 लाख लेते गिरफ्तार किया गया।

उधम सिंह नगर, हरिद्वार, पिथौरागढ़, और हल्द्वानी से भी रिश्वतखोरी के मामलों में एक के बाद एक गिरफ्तारियां हुई हैं। एक आंगनबाड़ी वर्कर ₹2,000 की रिश्वत लेते पकड़ी गई, तो वहीं चंपावत और किच्छा में पटवारी और माप विभाग अधिकारी भी घूस लेते दबोचे गए।

जनता का भरोसा डगमगाया, एंटी करप्शन कानून की मांग तेज

विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह सरकार ने नकल विरोधी कानून और भू-कानून लाकर सख्ती दिखाई थी, उसी तरह एंटी करप्शन कानून की भी सख्त जरूरत है। विजिलेंस की रिपोर्टों ने यह भी उजागर किया है कि आम नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी रिश्वत देनी पड़ रही है।

राज्य सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ गिरफ्तारी या जांच तक सीमित न रहकर सिस्टम में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा देने की व्यवस्था करे। तभी राज्य में विश्वास और सुशासन की नींव मजबूत हो पाएगी।

Related Articles

Back to top button