आयुष्मान भारत योजना के तहत जारी गोल्डन कार्ड से कैशलेस इलाज पर संकट बढ़ता जा रहा है। कई निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। अस्पतालों का कहना है कि उन्हें सरकार से भुगतान नहीं मिल रहा, जिससे उनका संचालन प्रभावित हो रहा है।
अस्पतालों ने खड़े किए हाथ
आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार गरीब और जरूरतमंद लोगों को गोल्डन कार्ड प्रदान करती है, जिससे वे सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त और कैशलेस इलाज प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन अब कई निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज करने से मना कर दिया है। अस्पतालों का आरोप है कि सरकार की ओर से भुगतान में देरी हो रही है, जिससे उनके लिए मरीजों का इलाज जारी रखना मुश्किल हो गया है।
मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं
इलाज के लिए भटक रहे मरीजों को अब मजबूरी में निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है। गोल्डन कार्ड धारकों को उम्मीद थी कि उन्हें इस योजना के तहत मुफ्त इलाज मिलेगा, लेकिन अस्पतालों के इनकार के बाद वे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। खासकर ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार ने दिए समाधान के संकेत
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों की इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए जल्द समाधान निकालने की बात कही है। अधिकारियों के अनुसार, अस्पतालों के लंबित भुगतान को शीघ्र जारी किया जाएगा, जिससे मरीजों को इलाज में कोई परेशानी न हो। सरकार इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए निजी अस्पतालों से बातचीत कर रही है।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यदि अस्पतालों को समय पर भुगतान नहीं किया गया तो वे इस योजना से बाहर हो सकते हैं, जिससे मरीजों को इलाज मिलने में दिक्कत होगी। सरकार को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए, ताकि गरीबों को सही समय पर इलाज मिल सके।
फिलहाल, गोल्डन कार्ड धारक मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं और सरकार से जल्द राहत की उम्मीद कर रहे हैं।