रुड़की: केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया। इस दौरान सीबीआरआई के निदेशक आर प्रदीप कुमार ने मड ब्लॉक मशीन और सोलर असिस्टेड हीट पंप बेस्ड वॉटर हीटर का उद्घाटन किया। ये तकनीकें खास तौर पर पहाड़ी और ठंडे इलाकों में निर्माण और ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित की गई हैं।
मड ब्लॉक मशीन से निर्माण होगा आसान और किफायती
सीबीआरआई निदेशक आर प्रदीप कुमार ने बताया कि मड ब्लॉक मशीन ऊंचाई और दूरस्थ क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर ईंटें (ब्लॉक) बनाने की क्षमता रखती है। यह मशीन एक दिन में 1,000 से अधिक ईंटें तैयार कर सकती है, जिससे भवन निर्माण की लागत और समय में कमी आएगी।
पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण सामग्री ले जाना बेहद मुश्किल होता है, ऐसे में यह मशीन स्थानीय मिट्टी से ही ईंटें बनाकर निर्माण कार्य को आसान बनाएगी। यह तकनीक खासतौर पर उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दुर्गम क्षेत्रों के लिए बेहद लाभकारी होगी।
सोलर असिस्टेड हीट पंप वॉटर हीटर – ठंडे इलाकों के लिए नया समाधान
कार्यक्रम में पेश की गई सोलर असिस्टेड हीट पंप बेस्ड वॉटर हीटर तकनीक बेहद ठंडे इलाकों में पाइपलाइन में जमा पानी को जल्दी गर्म करने में सक्षम होगी। यह सिस्टम -20℃ से -30℃ तक के तापमान में भी कारगर रहेगा, जिससे लेह-लद्दाख, सियाचिन, हिमाचल और उत्तर-पूर्वी भारत में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
तकनीक से ऊर्जा की बचत और पर्यावरण संरक्षण
इस नई प्रणाली की सबसे खास बात यह है कि यह 60% से 75% तक बिजली की बचत कर सकती है, जिससे इलेक्ट्रिक गीजर की तुलना में अधिक ऊर्जा कुशल होगी। इसे एक बार स्थापित करने के बाद यह लंबे समय तक कम रखरखाव में बेहतर सेवाएं देती है।
यह तकनीक कार्बन उत्सर्जन को भी कम करेगी, जिससे यह पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार और टिकाऊ समाधान साबित होगी। भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के अनुरूप, यह समाधान जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने में भी मदद करेगा।
सीएसआईआर और सीबीआरआई की नई पहल
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) द्वारा विकसित ये तकनीकें भारत के ठंडे और पहाड़ी इलाकों में जीवन को अधिक सुगम बनाने में मदद करेंगी। बढ़ती ऊर्जा लागत और जलवायु परिवर्तन के बीच, यह नवाचार एक स्थायी और प्रभावी समाधान के रूप में उभर रहा है।