नई दिल्ली, 12 जून: भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश की राष्ट्रपति की पहली महिला एड-डी-कैंप (ADC) बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह पहली बार है जब किसी महिला नौसेना अधिकारी को यह सम्मानजनक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारतीय सेना में महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल
लेफ्टिनेंट कमांडर सोलंकी की यह नियुक्ति भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं को दिए जा रहे नए अवसरों और भरोसे का प्रतीक है। अब तक राष्ट्रपति के ADC पद पर पुरुष अधिकारियों की ही नियुक्ति होती रही है, लेकिन सोलंकी ने इस परंपरा को तोड़ते हुए नया इतिहास रच दिया है। यह कदम न केवल सैन्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।
एड-डी-कैंप की भूमिका और महत्व
ADC यानी एड-डी-कैंप राष्ट्रपति के सैन्य सहायक होते हैं। ये अधिकारी राष्ट्रपति के सभी आधिकारिक और औपचारिक कार्यक्रमों में उनकी सहायता करते हैं और हमेशा उनके साथ मौजूद रहते हैं। यह पद अत्यंत प्रतिष्ठित माना जाता है और इसके लिए विशेष योग्यता, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता की आवश्यकता होती है।
सैन्य सेवा में उत्कृष्ट योगदान
लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी ने अपने सैन्य जीवन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। वे तकनीकी कौशल, अनुशासन और नेतृत्व में दक्षता के लिए जानी जाती हैं। भारतीय नौसेना में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।
महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
उनकी यह नियुक्ति देशभर की महिलाओं, विशेष रूप से सशस्त्र बलों में सेवा करने की आकांक्षा रखने वाली युवतियों के लिए एक उदाहरण बन गई है। यह दिखाता है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और काबिलियत के बल पर महिलाएं भी शीर्ष पदों तक पहुंच सकती हैं।
सरकारी और रक्षा प्रतिष्ठानों में खुशी का माहौल
राष्ट्रपति भवन की ओर से जैसे ही यह घोषणा हुई, भारतीय नौसेना सहित रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने यशस्वी सोलंकी को बधाई दी। इस ऐतिहासिक नियुक्ति को ‘नारी शक्ति’ को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
नारी सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
लेफ्टिनेंट कमांडर सोलंकी की यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि यह भारतीय महिलाओं की क्षमता और नेतृत्व को स्वीकार करने का प्रतीक है। यह नियुक्ति देश में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक मजबूत संदेश देती है।