देहरादून: उत्तराखंड को पर्यटन की दृष्टि से और अधिक समृद्ध बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक नई पहल की शुरुआत की है। पर्यटन स्थलों पर आने वाले यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग वेसाइड एमेनिटी नीति (Wayside Amenity Policy) तैयार कर रहा है। इस नीति के तहत राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों के आसपास बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा।
पर्यटकों को मिलेगी बेहतर सुविधा
राज्य में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों की यात्रा करते हैं। लेकिन कई बार रास्ते में रुकने, भोजन, शौचालय, चिकित्सा आदि जैसी सुविधाओं की कमी पर्यटकों को असुविधा का कारण बनती है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग एक ऐसी नीति बना रहा है जिससे यात्रा के दौरान पर्यटक बेहतरीन सुविधा पा सकें और उनका अनुभव सकारात्मक हो।
चारधाम और कुमाऊं पर्यटन पर विशेष फोकस
पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने जानकारी दी कि चारधाम यात्रा मार्गों पर पहले ही कुछ सुविधाएं विकसित की गई हैं। अब इसी मॉडल को कुमाऊं के पर्यटन स्थलों पर भी लागू किया जाएगा। कुमाऊं क्षेत्र में नैनीताल, मुक्तेश्वर, बिनसर, कौसानी जैसे स्थानों पर बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं, जिनके लिए सुविधा केंद्र बनाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार का अवसर
इस नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि स्थानीय लोगों को भी इस विकास में भागीदारी का मौका मिलेगा। यदि किसी व्यक्ति के पास पर्यटन स्थल के आसपास भूमि उपलब्ध है, तो वह सरकार के साथ मिलकर इन सुविधाओं का विकास कर सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और स्वरोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
सुविधाएं होंगी मानकों के अनुरूप
पर्यटन विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि जो भी सुविधाएं विकसित की जाएं, वे तय मानकों के अनुरूप हों। इससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और अत्यधिक भीड़ या अव्यवस्था जैसी समस्याएं नहीं उत्पन्न होंगी। साथ ही, इन केंद्रों का डिज़ाइन ऐसा होगा कि वे स्थानीय संस्कृति और वास्तुकला का प्रतिनिधित्व भी करें।
पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
राज्य सरकार की यह नई नीति पर्यटन के अनुभव को बेहतर बनाएगी और उत्तराखंड को एक सुव्यवस्थित और पर्यटक अनुकूल राज्य के रूप में स्थापित करेगी। साथ ही, यह नीति राज्य की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगी।
इस पहल से उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आने की उम्मीद की जा रही है।