देहरादून, 14 जून: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) का हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान-2025 शनिवार को उत्तराखंड से लद्दाख के लिए रवाना हुआ। इस अभियान दल को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कैंप कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 45 सदस्यों वाला यह दल उत्तराखंड से हिमाचल होते हुए 1032 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा तय करेगा।
साहस और सेवा का प्रतीक बना ट्रैकिंग मिशन
मुख्यमंत्री धामी ने इस मौके पर कहा कि यह ट्रैकिंग अभियान सिर्फ एक एडवेंचर यात्रा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमावर्ती क्षेत्रों में उपस्थिति, सामरिक दृष्टि से अहम स्थानों की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का एक संयुक्त प्रयास है। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी का यह साहसिक प्रयास स्थानीय संस्कृति और जनजीवन को मुख्यधारा से जोड़ने में मददगार होगा।
27 घाटियां, 27 दर्रे और 84 वाइब्रेंट गांव होंगे कवर
आईटीबीपी के आईजी संजय गुंज्याल के अनुसार, यह अभियान दल कुल 27 घाटियों और 27 पर्वतीय दर्रों को पार करेगा और इस दौरान 84 वाइब्रेंट विलेज का भ्रमण करेगा। इन गांवों में पहुंचकर दल न केवल स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करेगा, बल्कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रयास भी करेगा।
स्थानीय समुदायों के लिए फलदार पौधों का वितरण
अभियान की एक खास पहल के रूप में दल द्वारा 3.5 लाख फलदार पौधे स्थानीय निवासियों को वितरित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य न केवल पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना है, बल्कि लोगों की आजीविका को भी हरा-भरा और टिकाऊ बनाना है। यह कार्य स्थानीय जनभागीदारी से संपन्न होगा।
सैनिकों के कल्याण के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिजनों के हित में लगातार कार्य कर रही है। शहीद सैनिकों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 50 लाख रुपये किया गया है। वीरता पुरस्कार विजेताओं को मिलने वाले लाभों में भी बढ़ोतरी की गई है।
आईटीबीपी का हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान सुरक्षा, पर्यावरण और संस्कृति का एक संतुलित संगम है। यह मिशन केवल सीमाओं की निगरानी नहीं करता, बल्कि सीमांत क्षेत्रों के समग्र विकास का भी प्रतीक है।