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गढ़वाल विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश के नियमों में बदलाव, नए सत्र में लागू होंगे UGC के दिशा-निर्देश

Changes in the rules of PhD admission in Garhwal University, UGC guidelines will be implemented in the new session

श्रीनगर (गढ़वाल),09 जून 2024: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने पीएचडी सत्र 2024-25 के लिए प्रवेश प्रक्रिया को नए सिरे से निर्धारित किया है। विश्वविद्यालय ने इस बार प्रवेश में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को पूरी तरह लागू किया है, जिसके तहत अभ्यर्थियों के चयन में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता दी जाएगी।

दिए जाएंगे दो प्रकार के प्रवेश विकल्प

इस बार पीएचडी में प्रवेश दो अलग-अलग प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाएगा। पहले समूह में वे छात्र शामिल होंगे जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं जैसे UGC-NET, CSIR-NET, GATE, CEED, ICAR या DST-INSPIRE पास की हैं या संबंधित फेलोशिप प्राप्त की है। इन्हें प्रवेश परीक्षा देने से छूट दी गई है। उनका मूल्यांकन स्नातक अंकों के 30%, परास्नातक अंकों के 40% और साक्षात्कार के 30 अंकों के आधार पर किया जाएगा।

विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए अलग मानक

दूसरे वर्ग में वे छात्र आते हैं जो गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुए हैं। इन अभ्यर्थियों का चयन प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के 70% और साक्षात्कार में प्राप्त अंकों के 30% के आधार पर किया जाएगा। विवि ने हाल ही में यह परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की और अब उत्तर कुंजी भी जारी की जा चुकी है। परिणाम जल्द घोषित किए जाने की संभावना है।

400 से अधिक सीटों पर मिलेगा दाखिला

प्रवेश परिणाम घोषित होने के बाद, विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर के साथ-साथ बिड़ला (श्रीनगर), पौड़ी और टिहरी परिसरों सहित संबद्ध कॉलेजों में पीएचडी की लगभग 400 सीटों पर नामांकन होगा। यह पूरा चयन प्रक्रिया संशोधित मापदंडों के अनुसार पूरी की जाएगी।

विवि प्रशासन की प्रतिक्रिया

विश्वविद्यालय के पीएचडी प्रवेश परीक्षा समन्वयक डॉ. प्रीतम सिंह नेगी ने जानकारी दी कि प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विवि ने सभी जरूरी कदम उठाए हैं। नए दिशा-निर्देशों से गुणवत्तापूर्ण शोध को प्रोत्साहन मिलेगा और प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को उचित अवसर प्राप्त होंगे।

गढ़वाल विश्वविद्यालय का यह कदम उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। नए मापदंड न केवल चयन प्रक्रिया को सशक्त बनाएंगे, बल्कि विश्वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता को भी नया आयाम प्रदान करेंगे।

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