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हरिद्वार कुंभ मेला 2027: पहली बार महिला मेला अधिकारी के नेतृत्व में होगी भव्य तैयारियां

Haridwar Kumbh Mela 2027: For the first time, grand preparations will be done under the leadership of a female fair officer

हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले 2027 की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। खास बात यह है कि इस बार अर्ध कुंभ मेले को भी “कुंभ मेला” के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, ताकि इसकी भव्यता और महत्त्व को और अधिक बढ़ाया जा सके। सरकार ने दो साल पहले ही इसकी योजना पर काम शुरू कर दिया है और मेला अधिकारी के रूप में पहली बार एक महिला अधिकारी को नियुक्त किया गया है।

महिला नेतृत्व में होगा मेला प्रबंधन

हरिद्वार कुंभ मेला 2027 का नेतृत्व आईएएस सोनिका सिंह करेंगी, जो इससे पहले देहरादून की जिलाधिकारी और वर्तमान में नागरिक उड्डयन विभाग में अपर सचिव के रूप में कार्यरत हैं। यह पहली बार है जब हरिद्वार जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक मेला स्थल की पूरी जिम्मेदारी एक महिला अधिकारी को सौंपी गई है। सोनिका सिंह ने मेला नियंत्रण भवन पहुंचकर विधिवत चार्ज संभाल लिया है और अधिकारियों के साथ प्राथमिक बैठक कर योजना पर काम शुरू कर दिया है।

सरकार की प्राथमिकता: स्थायी और व्यापक विकास

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में महिलाएं और पुरुष दोनों ही विकास में समान रूप से योगदान दे रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार का कुंभ मेला 2021 में कोविड के चलते अधूरे रहे आयोजनों की भरपाई करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक नगरी की स्थापना जैसा होता है, जिसमें राज्य की पहचान जुड़ी होती है।

मेला अधिकारी की प्राथमिकताएं

मेला अधिकारी सोनिका सिंह ने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राथमिकता ट्रैफिक मैनेजमेंट, कानून व्यवस्था, और भीड़ नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना है। साथ ही, स्थायी और अस्थायी निर्माण कार्यों को समय पर पूरा करना भी उनकी योजना में शामिल है। उन्होंने प्रयागराज में आयोजित भव्य कुंभ मेले को उदाहरण के रूप में लेते हुए कहा कि हरिद्वार का कुंभ भी उसी स्तर का और दिव्य बनाने की कोशिश की जाएगी।

नारी शक्ति का प्रतीक बनेगा कुंभ 2027

इतिहास में पहली बार महिला नेतृत्व में हो रहा यह आयोजन नारी सशक्तिकरण की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है। आने वाला कुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का पर्व होगा, बल्कि महिला नेतृत्व की क्षमता और प्रभावशीलता का भी प्रतीक बनेगा।

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