देहरादून, 14 जून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब शिक्षा विभाग राज्य के स्कूली बच्चों को पारंपरिक संगीत, नृत्य और वाद्य यंत्रों से जोड़ने के लिए “लोक धुन कार्यक्रम” की शुरुआत करने जा रहा है। यह पहल वर्ष 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से लागू होगी, जिसका उद्देश्य छात्रों को उत्तराखंड की लोक कला और परंपराओं से रूबरू कराना है।
नई शिक्षा नीति की सोच के अनुरूप कदम
भारत सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 में भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया गया है। इसी दिशा में उत्तराखंड भी आगे बढ़ रहा है। दून विश्वविद्यालय में इस वर्ष से एमए इन हिंदू स्टडीज की शुरुआत की जाएगी, ताकि भारतीय परंपराओं पर शोध और अध्ययन को बढ़ावा मिल सके। यह कदम राज्य के शैक्षणिक और सांस्कृतिक विकास के समन्वय को दर्शाता है।
स्कूलों में गूंजेंगी लोक धुनें
“लोक धुन कार्यक्रम” के अंतर्गत छात्रों को पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे हुड़का, ढोल, दमाऊ और रणसिंघा की जानकारी दी जाएगी। साथ ही उन्हें लोकगीत और लोकनृत्य की शिक्षा भी दी जाएगी। खास बात यह है कि यह प्रशिक्षण स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा दिया जाएगा, जिससे बच्चों को व्यावहारिक अनुभव मिलेगा और कलाकारों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में होगी शुरुआत
शुरुआत में यह कार्यक्रम राज्य के 450 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा। राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान के अपर निदेशक कुलदीप गैरोला ने बताया कि यह प्रयास नई शिक्षा नीति के अनुरूप है, जिसमें सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। भविष्य में इस योजना का विस्तार राज्य के अन्य स्कूलों में भी किया जाएगा।
लोक कलाकारों को मिलेगा मंच
कार्यक्रम में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के कुशल कलाकारों को स्कूलों में प्रशिक्षक के रूप में शामिल किया जाएगा। इससे न केवल छात्रों को स्थानीय संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि लोक कलाकारों को सम्मान और आर्थिक सहायता भी प्राप्त होगी।
नेगी ने की सराहना, दी सलाह
प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का महत्वपूर्ण प्रयास बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि स्थानीय कलाकारों को इस योजना में अधिक से अधिक अवसर मिलना चाहिए और भविष्य में इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
“लोक धुन कार्यक्रम” उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने की दिशा में एक प्रभावशाली पहल है। इससे न केवल बच्चों को समृद्ध सांस्कृतिक ज्ञान मिलेगा, बल्कि लोक कलाकारों को भी प्रोत्साहन और स्थायित्व मिलेगा।