देहरादून के केदारपुरम में संचालित नारी निकेतन में निराश्रित महिलाओं के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाया जा रहा फैमिली रीयूनियन प्रोग्राम उनके जीवन में नई उम्मीद जगाता है। यह पहल न केवल इन महिलाओं को उनके बिछड़े परिवारों से मिलाने में मदद कर रही है, बल्कि उनके लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भी कार्य कर रही है।
इस कार्यक्रम के तहत अब तक 23 महिलाओं को उनके परिवारों से मिलाया जा चुका है, जिनमें कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जिन्होंने कई वर्षों बाद अपने प्रियजनों का साथ पाया। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश की नूरजहां को 32 साल बाद अपने परिवार का साथ मिला। इसी तरह, झारखंड की जूनी टोपो ने 30 साल बाद अपने परिवार से फिर से जुड़ने का अवसर पाया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि नारी निकेतन निराश्रित महिलाओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, लेकिन अंततः हर व्यक्ति को अपने परिवार के बीच ही खुशी मिलती है। इसलिए, सरकार का प्रयास है कि यहां रह रही सभी महिलाओं को उनके परिवार से मिलाने की दिशा में काम किया जाए।
इस प्रोग्राम के सफल उदाहरणों में असम की वृंदा और नेपाल की कमला का नाम शामिल है। वृंदा, जो 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, को नारी निकेतन में दाखिल होने के बाद अपने परिवार की पहचान मिली। उनके भाई ने 29 अप्रैल 2023 को उन्हें लेने के लिए देहरादून का दौरा किया।
कमला कुमारी, जो 2012 में अपने परिवार से बिछड़ गई थीं, को भी इस प्रोग्राम के माध्यम से उनके बेटे से मिलाने में सफलता मिली। कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, उन्हें हाल ही में उनके परिवार के पास भेजा गया।
यह कार्यक्रम केवल घर वापसी तक सीमित नहीं है; इसके बाद भी महिलाओं की सुरक्षा और पुनर्निर्माण के लिए एक नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ये महिलाएं अपने परिवार में लौटने के बाद भी सुरक्षित और समर्थ बनी रहें।
समाज में ऐसे प्रयास न केवल निराश्रित महिलाओं के जीवन में बदलाव लाते हैं, बल्कि हमें यह भी याद दिलाते हैं कि हर इंसान को अपने परिवार के साथ रहने का अधिकार है।