नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने नए आयकर विधेयक, 2025 में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों को बरकरार रखने पर आश्चर्य जताया है। यह कदम उस समय आया है जब उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था।
चुनावी बॉन्ड का उल्लेख विधेयक की अनुसूची आठ में
नए आयकर विधेयक की अनुसूची आठ में चुनावी बॉन्ड का उल्लेख किया गया है, जो ‘राजनीतिक दलों और चुनावी ट्रस्टों की कुल आय में शामिल नहीं की गई आय’ से संबंधित है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 15 फरवरी को एक निर्णय में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था, जिसे केंद्र द्वारा गोपनीय राजनीतिक चंदे के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
विधायी चूक या संशोधित योजना की संभावना
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन के अनुसार, नए आयकर विधेयक में चुनावी बॉन्ड का उल्लेख विधायी चूक हो सकता है या सरकार भविष्य में योजना के संशोधित संस्करण को लागू करने की मंशा से इसे जानबूझकर शामिल कर सकती है। मोहन का मानना है कि सरकार के पास राजनीतिक चंदे की संशोधित व्यवस्था पेश करने का अधिकार है, बशर्ते यह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप हो और इसमें पारदर्शिता हो।
चुनावी बॉन्ड की शुरुआत से अब तक 16,518 करोड़ रुपये जारी
2018 में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना के तहत अब तक 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए गए हैं। इस प्रक्रिया में कोई भी बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, हालांकि, नए आयकर विधेयक में संरचनात्मक बदलावों की ओर इशारा किया गया है।