कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थानीय लोग अपनी शहर की ऐतिहासिक पहचान को खोने का शोक मना रहे हैं, क्योंकि शहर की सड़कों पर चलने वाली हिंदुस्तान एंबेसडर टैक्सियों की संख्या तेजी से घट रही है। 1950 के दशक से सड़कों पर दौड़ने वाली इन टैक्सियों में से 1000 कारों को इस साल रिटायर कर दिया जाएगा, और अगले तीन वर्षों में सभी को सड़कों से हटा दिया जाएगा।
एंबेसडर का अविस्मरणीय अतीत
स्नब नोज वाली हिंदुस्तान एंबेसडर कार 1950 के दशक में भारत में सड़कों पर उतरी थी और जल्द ही यह भारत की गड्ढों वाली सड़कों पर राज करने लगी। हालांकि अब यह कार शायद ही कहीं और देखने को मिले, कोलकाता में यह शहर की पहचान का प्रतीक बनी हुई थी।
सख्त इमिशन स्टैंडर्ड के कारण रिटायरमेंट
कोलकाता के कैब ड्राइवर कैलाश साहनी, जो पिछले चार दशकों से एंबेसडर टैक्सी चला रहे हैं, ने एएफपी को बताया कि वे अपनी कार को बेटे की तरह पसंद करते हैं। हालांकि, 2009 में शुरू किए गए सख्त इमिशन स्टैंडर्ड के कारण कई ड्राइवरों ने अपने वाहन त्याग दिए। इस साल एंबेसडर टैक्सी की संख्या घटकर 2500 रह गई, जो पिछले साल 7000 के करीब थी।
एंबेसडर का ऐतिहासिक महत्व
हिंदुस्तान एंबेसडर कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में 1957 में बनी थी और यह भारत के मोटर वाहन उद्योग की नींव बन गई। यह कार एक समय भारत के मंत्रियों और उद्योगपतियों के लिए प्रमुख परिवहन का साधन रही। हालांकि, 1980 के दशक के बाद से यह कार धीरे-धीरे बाजार से बाहर हो गई और 2014 में इसका उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया।
कोलकाता का बदलता चेहरा
कोलकाता, जिसे कभी ब्रिटिश साम्राज्य में लंदन के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था, अब अपनी ऐतिहासिक धरोहर के बावजूद बदलते समय के साथ संघर्ष कर रहा है। कई युवा पीढ़ियां बेहतर अवसरों की तलाश में शहर छोड़ चुकी हैं, जिससे इसका महत्व अन्य भारतीय शहरों के मुकाबले घट गया है। रिटायर टीचर उत्पल बसु ने कहा, “पुरानी कारें जाती हैं, नई आती हैं, लेकिन यह मेरे दिल को तोड़ देगा जब शहर एक और आइकन खो देगा।”
एंबेसडर की विदाई का समय
आज भी कोलकाता के लोग इस प्रतिष्ठित कार की विदाई को लेकर शोक मना रहे हैं। यह कार कोलकाता की अतीत की पहचान का एक अहम हिस्सा थी, और इसके जाने से शहर के पुराने दिनों की यादें भी धुंधली हो जाएंगी।