देहरादून: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के दौरान हाल ही में हुए हेलीकॉप्टर हादसों के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हेलीकॉप्टर सेवाओं को लेकर कड़ी निगरानी और पाबंदियां लागू की हैं। इससे केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों तक हवाई यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं में चिंता का माहौल है। यात्रियों को अब आशंका है कि क्या भविष्य में हेली सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी और यात्रा फिर से पूरी तरह पैदल या खच्चरों के सहारे करनी पड़ेगी।
हेलीकॉप्टर सेवाओं पर DGCA का रिव्यू
चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम सबसे कठिन यात्रा मार्ग माना जाता है, जहां हर साल हज़ारों श्रद्धालु हेलीकॉप्टर के जरिए दर्शन को पहुंचते हैं। इसी साल एक महीने में चार हादसों में छह लोगों की जान चली गई और करोड़ों का नुकसान हुआ। इसे देखते हुए DGCA ने सभी हेली सेवाओं की 10 दिनों तक समीक्षा का फैसला लिया है। इस दौरान उड़ानों की संख्या, संचालन की प्रक्रिया, मौसम और तकनीकी पहलुओं की जांच की जा रही है।
सेवाएं हुईं सीमित, उड़ानों में 30% की कमी
पर्यटन नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि हादसों से पहले जहां प्रतिघंटा 25 से 30 उड़ानें होती थीं, वहीं अब केवल 9-10 उड़ानें हो रही हैं। इसके अलावा हेलीकॉप्टर में यात्रियों की संख्या भी कम की गई है। अब एक हेलीकॉप्टर में केवल 3-4 सवारियों को ही अनुमति दी गई है। खराब मौसम की स्थिति में किसी भी तरह का दबाव न बनाते हुए उड़ानों को रोका जा रहा है। DGCA हर उड़ान की सघन निगरानी कर रहा है।
आर्थिक नुकसान की आशंका
अगर हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद होती हैं, तो इसका असर न केवल श्रद्धालुओं पर पड़ेगा, बल्कि राज्य को राजस्व का भी नुकसान होगा। 2024 में हेलीकॉप्टर सेवाओं से सरकार को करीब 195 करोड़ रुपये की आय हुई थी। मई महीने में 31,700 से अधिक श्रद्धालु हेली सेवा से यात्रा कर चुके हैं। वर्तमान में उड़ानों की संख्या में 30% की गिरावट दर्ज की गई है और टिकट कैंसिल होने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
हेली सेवा बंद करने से पर्यावरण और रोजगार पर असर
मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि हेलीकॉप्टर सेवाएं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं, लेकिन यह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का बड़ा जरिया भी हैं। एक एजेंसी में 30 से 40 लोग कार्यरत होते हैं और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। वहीं, वरिष्ठ सलाहकार ओमप्रकाश जमदग्नि का मानना है कि सेवा बंद करने से देशभर में नकारात्मक संदेश जाएगा, जबकि इसका एक संतुलित समाधान ढूंढा जाना चाहिए।
हादसों का इतिहास बढ़ाता है चिंता
पिछले वर्षों में हुए हादसों की लिस्ट लंबी है — 2013 से 2025 के बीच में दर्जनों हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है। हालिया हादसे 8 मई और 17 मई 2025 को हुए, जिनमें पायलट की सूझबूझ से बड़ी त्रासदी टली।
चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा श्रद्धालुओं के लिए सहूलियत जरूर है, लेकिन बार-बार की दुर्घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। DGCA की समीक्षा के बाद यह तय होगा कि इन सेवाओं को किस रूप में आगे चलाया जाएगा—बंद किया जाएगा, या नए दिशा-निर्देशों के साथ जारी रखा जाएगा।