उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार जिले के लिब्बरहेड़ी क्षेत्र में आयोजित धन्यवाद रैली में किसानों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने खुद ट्रैक्टर चलाकर न केवल किसानों का सम्मान किया, बल्कि यह भी दिखाया कि वे एक किसान परिवार से जुड़े हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। इस पहल से जनसमूह में जोश और उत्साह देखने को मिला।
यूसीसी लागू होने के बाद धन्यवाद यात्राएं जारी
उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हुई, जो देश में अपनी तरह की पहली पहल है। इस सफल क्रियान्वयन के बाद मुख्यमंत्री धामी ने पूरे राज्य में धन्यवाद रैलियों का आयोजन शुरू किया है। इन रैलियों का उद्देश्य सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाना और आम लोगों से सीधे संवाद स्थापित करना है।
हरिद्वार की रैली में मुख्यमंत्री का अनोखा अंदाज़
रविवार को महाराजा महेंद्र प्रताप स्नातक महाविद्यालय के मैदान में आयोजित रैली में सीएम धामी ने ट्रैक्टर खुद चलाकर ग्रामीणों के बीच अपनी पहुंच और जुड़ाव का परिचय दिया। यह दृश्य किसानों में उत्साह का संचार करने वाला रहा और उन्होंने इसे बड़े सम्मान के साथ स्वीकार किया।
‘ट्रैक्टर है किसानों का आत्मसम्मान’ — मुख्यमंत्री धामी
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रैक्टर सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत, सम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। उन्होंने यह भी बताया कि वे स्वयं एक कृषक परिवार से आते हैं, इसलिए खेतों की समस्याएं और उनकी भावनाएं अच्छी तरह समझते हैं। इस भावुक अपील पर लोगों ने जोरदार तालियां बजाईं।
जनभावनाओं से जुड़ने की राजनीतिक रणनीति
सीएम धामी का यह कदम विपक्ष की तुलना में भी एक सशक्त राजनीतिक संदेश था। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ग्रामीण जुड़ाव रणनीति के बीच, धामी ने अपने जनसंपर्क को और गहराई दी है। ट्रैक्टर चलाकर उन्होंने साबित किया कि वे केवल योजनाओं तक सीमित नहीं, बल्कि किसानों के जीवन की वास्तविकताओं को समझते हैं।
किसानों के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी
रैली में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, कृषि यंत्र अनुदान, जैविक खेती को बढ़ावा और सिंचाई से जुड़े नए प्रोजेक्ट्स की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कृषि आधारित स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने की सरकारी पहल का भी उल्लेख किया।
एक नेता की जमीनी समझ का प्रतीक
पुष्कर सिंह धामी का यह कदम सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि किसानों के साथ भावनात्मक जुड़ाव का संकेत है। यह साबित करता है कि सफल नेतृत्व तभी संभव है जब नेता जनता की नब्ज समझे और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। आने वाले समय में यह रणनीति उत्तराखंड की राजनीति में नया मोड़ लेकर आ सकती है।