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“संघर्ष और उम्मीद की मिसाल: मंजेश, जिनकी मां और बहन भी हैं दिव्यांग, परिवार के लिए मदद की तलाश में”

"An example of struggle and hope: Manjesh, whose mother and sister are also differently-abled, seeks help for his family"

नई दिल्ली, 28 नवंबर 2024 – मंजेश की कहानी सिर्फ मेहनत की नहीं है, बल्कि यह संघर्ष और उम्मीद की भी एक प्रेरणादायक कहानी है। वे अपने परिवार के साथ न केवल जीवन की कठिनाइयों का सामना कर रही हैं, बल्कि कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से भी जूझ रही हैं। मंजेश की मां और बहन दोनों ही दिव्यांग हैं और उनके पिता वृद्ध हो चुके हैं, जिससे परिवार की स्थिति और भी कठिन हो गई है।

मंजेश बताती हैं, “हमारे लिए हर दिन एक नया संघर्ष होता है। मेरी मां और बहन को देखती हूं, दोनों को रोज़-रोज़ की ज़रूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। पापा भी अब बहुत बूढ़े हो गए हैं, तो उनकी भी देखभाल करने में कठिनाई हो रही है। हमारे पास इतना भी नहीं है कि घर का खर्च सही से चला सके। कभी-कभी यह सोचकर डर लगता है कि अगर कल कोई जरूरत पड़ी तो कैसे पूरा होगा।”

उनका कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण परिवार को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जहां एक ओर घर की बुनियादी चीज़ों का प्रबंध मुश्किल हो रहा है, वहीं दूसरी ओर मंजेश की खुद की पढ़ाई और कामकाजी जीवन को भी संभालना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है।

मंजेश ने कई बार जिला प्रशासन और नेताओं से मदद की गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला। “हमने कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए, नेताओं से संपर्क किया, लेकिन हमेशा वही जवाब मिला – ‘हम देखेंगे’, ‘जल्द ही मदद मिलेगी’, लेकिन अब तक कोई ठोस मदद नहीं मिल पाई है।” मंजेश कहती हैं, “मैं आज भी उम्मीद करती हूं कि शायद एक दिन कोई हमारे परिवार की मदद के लिए सामने आए।”

मंजेश की स्थिति देश के उन लाखों परिवारों की स्थिति का प्रतिनिधित्व करती है, जो दिव्यांगता, वृद्धावस्था और आर्थिक तंगी के कारण खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं। इन परिवारों की ज़रूरतों की तरफ न तो सरकार का पर्याप्त ध्यान है, न ही समाज का। मंजेश का संघर्ष यह दर्शाता है कि किसी भी समाज की ताकत तभी मानी जा सकती है, जब वह अपने सबसे कमजोर और जरूरतमंद वर्ग को सहारा दे सके।

मंजेश का परिवार उन परिवारों के लिए एक प्रेरणा है, जो मुश्किलों के बावजूद उम्मीद नहीं छोड़ते। मंजेश की तरह कई लोग हैं, जो संघर्ष करते हुए भी यह उम्मीद पाले रहते हैं कि किसी दिन उनके हालात बदलेंगे। लेकिन यह सवाल भी है कि क्या सरकार और समाज ऐसे परिवारों के लिए पर्याप्त कदम उठाएंगे, ताकि उन्हें इस संकट से बाहर निकलने का अवसर मिल सके।

मंजेश की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हर किसी की मदद की ज़रूरत होती है, और समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी इंसान या परिवार अपने हालात के कारण हताश न हो। यह सिर्फ एक व्यक्ति का संघर्ष नहीं, बल्कि हमारे पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि हम मिलकर एक दूसरे की मदद करें, ताकि हर किसी को समान अवसर मिल सकें और वे अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकें।

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