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बजट 2025-26: शहरी विकास को प्राथमिकता, स्मार्ट सिटीज मिशन समाप्त

Budget 2025-26: Priority given to urban development, Smart Cities Mission ends

 शहरी विकास को मिली प्राथमिकता
वित्त मंत्री ने इस वर्ष के बजट में शहरी विकास को छह प्रमुख सुधार क्षेत्रों में से एक के रूप में चिह्नित किया है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) को 96,777 करोड़ रुपये का आवंटन मिला, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान से 52% अधिक है।

 स्मार्ट सिटीज मिशन का अंत
2015 में शुरू किया गया स्मार्ट सिटीज मिशन (SCM) अब समाप्त कर दिया गया है। मिशन को शहरों के समग्र विकास के लिए लाया गया था, लेकिन इसकी परियोजनाएं शहर की आबादी के केवल 5-10% को लाभ पहुंचा सकीं।

 शहरी चुनौती निधि (UCF) की शुरुआत
सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये के शहरी चुनौती निधि (UCF) की स्थापना का प्रस्ताव रखा है, जिसमें 10,000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है। हालांकि, इसके उद्देश्य और परिचालन मॉडल SCM से मिलते-जुलते प्रतीत हो रहे हैं, जिससे इसकी प्रभावशीलता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

PMAY (U) को बजटीय झटका, आवास संकट गहराया
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-U) का बजट 23% घटा दिया गया है, जिससे ‘सभी के लिए आवास’ योजना को झटका लग सकता है। हालांकि, रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के लिए 15,000 करोड़ रुपये का SWAMIH 2 फंड प्रस्तावित किया गया है।

 शहरी परिवहन पर जोर, लेकिन मेट्रो पर सवाल
मेट्रो परियोजनाओं के लिए बजट 40% बढ़ाया गया, लेकिन कम सवारियां और खराब लास्ट-माइल कनेक्टिविटी अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है। पीएम ई-बस सेवा योजना के लिए आवंटन में मामूली वृद्धि की गई, जबकि शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और NMT (नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट) पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत थी।

 जनगणना डेटा में देरी से शहरी योजना प्रभावित
जनगणना डेटा पर आधारित योजनाएं जैसे AMRUT प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि 2025-26 के लिए जनगणना कार्यों के लिए सिर्फ 574.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2021-22 में 3,768 करोड़ रुपये थे। इससे शहरी सेवाओं की सटीक योजना और कार्यान्वयन में बाधा आ सकती है।

 शहरी नियोजन के लिए विशेषज्ञों की भारी कमी
नीति आयोग की रिपोर्ट (2021) के अनुसार, 42% नगर नियोजकों के पद खाली हैं। सरकार को राष्ट्रीय शहरी क्षेत्रीय नियोजन प्राधिकरण (NURPA) की स्थापना और नगर नियोजन की क्षमता बढ़ाने की सिफारिशों पर जल्द कदम उठाने की जरूरत है।

 शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार की चुनौती
AMRUT के लिए बजट में 25% की वृद्धि हुई, लेकिन SBM (शहरी) के बजट में कोई बदलाव नहीं हुआ। 2024-25 में इन दोनों योजनाओं के लिए संशोधित बजट में भारी कटौती दर्ज की गई, जिससे जल, सीवरेज और अन्य बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

 शहरी विकास के बजट में वृद्धि, लेकिन जमीनी हकीकत पर सवाल

बजट 2025-26 में शहरी विकास को प्राथमिकता जरूर दी गई है, लेकिन कई योजनाओं की वास्तविक सफलता और समावेशिता पर संदेह बना हुआ है। वित्तीय प्रबंधन और बेहतर नियोजन के बिना, बढ़ा हुआ बजट भी शहरी असमानताओं को दूर करने में प्रभावी नहीं हो सकता।

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